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है। (ऐसा व्यक्ति) पृथ्वीकायिक जीवों की हिंसा करता हुआ, अन्य तदाश्रित नाना प्रकार के दूसरे जीवों की भी हिंसा करता है। ____14. Properly understanding (the bad consequences of violence), he (a disciplined seeker) indulges in adaniya (practicing ascetic-discipline).
By listening to (the sermon of) Bhagavan or anagars (ascetics) it becomes known (to some humans) that-"this (violence towards earth-bodied beings) is a granthi (a knot or the cause of karmic bondage); this is fondness (illusion); this is death; and this is hell as well.” ___A person who (in spite of this) has cravings (for pleasures and comforts), employing various types of shastras (weapons) in earth related violent activities, causes harm to earth-bodied beings. (Such person) destroys not only earth-bodied beings but also many other types of dependent beings.
विवेचन-चूर्णि में ‘आदानीय' (ग्रहण करने योग्य) का अर्थ संयम तथा 'विनय' किया है।
इस सूत्र में आये 'ग्रन्थ' आदि शब्द एक विशेष अर्थ रखते हैं। साधारणतः 'ग्रन्थ' शब्द पुस्तक विशेष का सूचक है। शब्दकोष में ग्रन्थ का अर्थ 'गाँठ' (ग्रन्थि) भी किया गया है। आत्मा को बाँधने वाले कषाय या कर्म को भी ग्रन्थ कहा गया है।
ग्रन्थ के दो भेद हैं-(१) द्रव्य ग्रन्थ, और (२) भाव ग्रन्थ।
द्रव्य ग्रन्थ दस प्रकार का परिग्रह है-(१) क्षेत्र, (२) वास्तु, (३) धन, (४) धान्य, (५) संचयतृण काष्ठादि, (६) मित्र-ज्ञाति-संयोग, (७) यान-वाहन, (८) शयनासन, (९) दासी-दास, और (१०) कुप्य (पलँग आदि घर का सामान)।
भाव ग्रन्थ के चौदह भेद हैं-(१) क्रोध, (२) मान, (३) माया, (४) लोभ, (५) प्रेम, (६) द्वेष, (७) मिथ्यात्व, (८) वेद, (९) अरति, (१०) रति, (११) हास्य, (१२) शोक, (१३) भय, और (१४) जुगुप्सा।
'मोह' शब्द राग या विकारी प्रेम के अर्थ में प्रसिद्ध है। जैन आगमों में 'मोह' शब्द अनेक अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। राग और द्वेष-दोनों ही मोह हैं।२ सदसद् विवेक का नाश३, हेय-उपादेय
३. स्थानांग ३/४
१. बृहत्कल्प, उद्देशक १, गा.१०-१४ २. सूत्रकृतांग, श्रु.१, अ. ४, उ. २, गा. २२
आचारांग सूत्र
( २२ )
Illustrated Acharanga Sutra
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