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PRESERVED AT ANHILWAD PATAN,
उज्जयंतसत्तुजएस तित्थेसु दोसु वि जिर्णिदो । सिरितसिं उसहनाहे वंदइ संघो विभूईए ॥ ७९ ॥ तत्थुज्जयंततित्थे पारुत्थय अदलक्खमुप्पन्न । सत्तुंजयम्मि तित्थे तीससहस्सा समुप्पन्ना ॥ ७६ ।। जाण पडिबोहिएणं भवियजणो भाविउ तह ।। धम्मो जिणभणिए पत्ते देसे सव्वे य निरईए ।। ७७ ।। पज्जुवास पि हुठाणंतरसंकमाईययो नेय ।। आराहणा गुरूण व सत्तंदिणा अणसणं नवरं ॥ ७८ ॥ गुरुवीहारणेइ महिम्मदेहस्स तहेव जाव ॥ सकुसे किंतु सयसेव राया सम - - - - - यसे ॥ ७९ ॥ - - - - - - - सिंहसिरिचंदविबुहचंदत्ति ॥ जाया तिन्नि गणहरा सिरिसिरिचंदो तउ सूरी ॥ ८ ॥ देसेस विहरमाणो कमेण धवलकय्यम्मि वरनयरे ॥ संपत्तो तत्थ तउ भरुयत्थयनामजिणभवणे ।। ८१ ॥ उत्तंगम्मि विसाले रूवगरमणिजमंडवसणाहे ॥ सोए सुणे सुव्वयजिणवरपडिमसमहिटिए रन्मे ॥ ८२ ॥ सडो अस्थि गुणड्डो धवलो नामेण पोरुवाडकुले ॥ तेण जिणचंदसुरिप्पमुहो संघो समग्गो ॥ ८३ ॥ मेलेडं विन्नत्तो सिरिमुणिसुव्वयजिणिदवरिसस्स ।। करणत्थं संघेण वि सिरिचंदो पभणीउ सूरी ॥ ८४ ॥ सो तं संघाएसं पडिवजउं विणिग्गउ तत्तो॥ आसावल्लिपुरीए आगंतूणं ठिउ गेहे ॥ ८ ॥ सिरिमालकुलसमुभववरसावयसेट्रिनागिलसुयाण ।। अवहरिभंडसालियसरणयप मुहाण सगुणाण ॥ ८६ ।।
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