________________
16
EXTRACTS FROM MANUSCRIPTS
अणहिलवाडनयराउ तित्थजत्ताए चलियसंघेण । अभत्थिऊण नीउ सहप्पणा जो महामहिमो ॥ ६३॥ सज्जावलयलंगडिपमुहाणं जत्थ सगडरूवाणं ॥ एक्कारसउ सयाई संचलियाई - - - ॥ ६४ ॥ हयकरहवसहवाहणपयचराण त्थ व हुइ न संखा ॥ वामणथलिनयरीए दिन्नावसमम्मि संघेण ॥ ६५ ॥ वाडीविताणएहिं गुरु रखउखंडएहि गुलिणीहिं || वियडें विरायमाणे निवखंधावारसारित्थे ॥ ६६ ॥ कयकुंकुमंगरायं नियत्थपट्टं सुयाइवरवत्थं ।। कंचणरयणादिभूसियं अंगचंगेसु ॥ ६७ ॥ दट्टुण सावयजणं जिणहरपरिहावगं पकुव्वतं ।। खंगारस्स सुरट्ठापहुणो जायं मणं दृष्टुं ॥ ६८ ॥ अन्नेर्हि विसो भणिउ रायमनहिलवाडयस्स नयरस्स ||
चिट्टइ लच्छि सव्वा इहागया तुझ पुन्नेहिं ॥ ६९ ॥ ता गित्थू तुम पयं भंडारे होई तुह जहा ढो । से भाविज्जइ ठाणं एक्काए दव्वकोडीए ॥ ७० ॥ लोभेण सोवि सव्वं तं गहिउ वछए पुणो वि परं ।। सव्वयणमज्जायालोव अज्ज भभीउ नियत्तेइ ॥ ७१ ॥ इय अकयनिच्छउ सो गहणमोक्खे य संसइयचित्तो ॥ चितूणं दिणमाणं संघ धारेइ तत्थेव ॥ ७२ ॥ भाणिज्जंतो वि दिणो वि सो संघो संतियजणस्स । नो देइ दंसणं अन्नया य सयणो मउ तस्स ॥ ७३॥ तो दिक्खणयमिसेणं जेण मुणिदेण तत्थ गंतूण | पडिबोहिऊण एयं संघो मोयावि उ सद्धि ॥ ७४ ॥