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PRESERVED AT ANHILWAD PATAN,
अग्घो भमाडिउणं थिरेण आरत्तियं व वारतियं ॥ . पक्खित्तो पयपुरष्ठ कउ पणामो य पंचंगो ॥ ११ ॥ थालपरिवेसायाउ आहाराउ सहत्थेण ॥ दिन्नो नियइच्छाए चउव्विहो तेण आहारो ।। ६२ ।। भणियं व जोडिऊणं करजुयमग्गे व खलु कयत्थोहं ।। जाउ अज्जेव तहा कल्लाणपरंपराठाणं ॥ ५३ ॥ जस्स मह अज्जे भवणं तुब्भोहँ फरसियं सचरणेहिं । ता अज्ज वीरनाहो मञ्झ सयं आगउ व्व गिहे ॥ ५४॥ जेण जयसिंहरायं भणिऊणं तस्स मंडले सयले ।। जिणमंदिरेसु कलसा चडाविया सइरकणयमया ॥५५॥ धंधुक्षयसञ्चउरम्पभिइसु ठाणेसु अन्नतित्थीहि ॥ जिणसासणस्स पीडा कीरंती रक्खिया जेण ॥ ५६ ॥ कारावियं च तह तेसु चेव अण्णे सु रहपारेभमणं ॥ निविग्धं जयसिंह भणाविऊण पुहइनाहं ॥ ५७ ॥ कुनिउइएहिं तह जिणहरेसु भज्जत देवदायाण ॥ काराविया निवारा जयसिंहनरिंदपासाउ ॥ ५८ ॥ भंडारपविटुंपि हु केसु वि ठाणेसु देवदायस्स ।। दव्वं जिणभवणेसु पुणोवि अप्पावियं जेण ॥ ६९ ।। किं बहुणा भणिएणं जिणसासणं परिभवम्मि जायते । सव्वप्पणा वि तुलियं जेण उवायंतरसएहिं ॥ ६० ॥ जिणसासणकज्जाइं विसेसाहियाइं इह जेण ॥
अन्नस्स मणम्मि विफुरांत न ह जाइं कइयावि ॥ ६१ ॥ लिंगाविसेस मित्ते वि जइजणे परिभाविज्जमाणाम्म । नियसत्तीए तत्ती जेण कया सव्वकालपि ।। ६२ ।।