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EXTRACTS FROM MANUSCRIPTS
वक्खाणिया सहाए पारण न केणई चिरं कालं ॥ जस्स मुनिग्गयत्था मुद्धाण वि सातइ कहंवि ॥ ३९ ॥ जाया हिययगयत्था असत्थेऊण तेहि जह एसा उवरुवरि । तिन्निवरिसे नियसुया तस्सेव य मुहाउ ॥ ४० ॥ तद्दिणपभिइपयारो जाउ पाएण तीए सव्वत्थ ॥ जे तेण सयं रइया गंधा ते संपइ कहे मि ॥। ४१॥ सुत्तमुवएसमालाभवभावणपगरणाण काऊण ॥ गंथसहस्सा चउदस तेरस वित्ती कया जेणा ॥ ४२ ॥ अणुओगदाराणं जीवसमासस्स तह य सयगस्स ॥ जेण च्छ सत्त चउरो गंथसहस्सा कया वित्ती ॥ ४३ ॥ मूलावस्सयवित्तीए उवरि रइयं व टिप्पणं जेण ॥ पंचसहस्सपमाणं विसमट्ठाणावबोधयरं ॥ ४४ ॥ जेण विसेसावरस्य सुत्तस्सुवरिं सवित्रा वित्ती ॥ रइया परिष्फुडत्था मडवीससहस्सपरिमाणा ॥ ४५ ॥ वक्खाणगुणप सिद्धिं सोऊणं जस्स गुज्जरनरिंदो || जयसिंहदेवनामो कयगुणिजणमणचमक्कारो ॥ ४६ ॥ आगंतूण जिणमंदिरम्मि सयमेव सुणइ धम्मकहं || · जस्सुवउत्तचित्तो सुइरं परिवारसंजुत्तो ॥ ४७ ॥ कइयावि जस्स दंसण उत्कंठियमाणसो सयं चेव ॥ आगच्छइ सहीए चिरकालं कुणइ संलावं ॥ ४८ ॥ अन्नम्भ दिणे अभत्थिऊण नेउं नियम्मि धवलहरे || सम्मुहमुऊिण जयसिंहनिवेण जस्स सयं ॥ ४९ ॥ उद्वद्वियस्स उल्लसियबहलपुलए कंचणमरण || विउलेण भायणेणं दुव्बाफल कुसुमजलमइउ || १० ॥
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