SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 114
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ PRESERVED AT ANHILWAD PATAN. सिरिखंडविमाणेणं तेणेव समं सरीरसक्कारे ॥ जस्स कउ लोएणं तह उवरि पुणो वि खित्ताई ॥ २७ ॥ कडाइं अगरसिरिखंडसंतियाइं घणो घणसारो ॥ निव्वाणाए ठियाए जणेण गहियउ तउ रक्खा ॥२८॥ रक्खाए वि अभावे गहिया तठ्ठाणमट्टिया तत्तो॥ ता जाव तत्थ जाया अनुमाणा वियडखड्डा ॥ २९॥ तीसे रक्खाए मट्टियाए अणुभावउ सिरोवाहा ॥ वेलाजरएगंतरजराइ रोगा पणस्संतो॥ ३०॥ भत्तिवसेणं न मए मणंपि इह भासियं मुसा किंपि॥ जं पच्चक्खं दिढ तस्स वि लेसो इमो भणिउ ॥ ३१॥ नियतेयविसेसेणं पुरिसोत्ति महिययरंजणो जाउ ॥ कोत्थुहमणिव्व त्ततो सूरी सिरिहेमचंदोत्ति ॥ ३२॥ जगुवट्टमाणपवयणपारागउ वयणसत्तिसंपन्नो ।। नियनामेव भगवई जीहग्गगया कया जेण ॥ ३३ ॥ मलग्गंथिविसेसावस्सयलक्खणपमाणपमुहाण ॥ सेसाण वि गंथाणं पढियं जेणद्धलक्खं च ॥ ३४ ॥ रायामच्चाईण वि महिडियाणं जणाण आरज्झे । जिणसासणप्पभावणपरायणो परमकारुणिउ ॥ ३५ ॥ नवजलहरगाहिरसरे धम्मुबएसांत च दितए जम्मि ।। जिणभवणाउ बहिम्मि वि हिउ जणो सुणइ फुडसदं ॥ ३६ ।। वक्खाणलद्धिजुत्ते जम्मि कुणंतम्मि सत्थवक्खाणं ॥ पाएण जडमईण वि जणाण बोहो समुप्पन्नो ॥ ३७॥ उवमियभवप्पवंचा वेरग्गकरी कहा कप्पा । आसिवक्खाणय सिद्वेणं जा पुव्वं मा कठोरत्त ॥ ३८॥
SR No.007582
Book TitleOperation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP Piterson
PublisherRoyal Asiatic Society
Publication Year1896
Total Pages420
LanguageEnglish
ClassificationBook_English & Catalogue
File Size88 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy