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EXTRACTS FROM MANUSCRIPTS
जस्स पयपउमदंसणकयाहिलासो समाहिमलहंतो ॥ दक्खिन्नमहोहिणा परोवयारेक्कर सिएण ॥ १५ ॥ गंतूण जेण वंदाविऊण विहिउ समाहिसंपन्नो || धम्मवएदं माणं कराविउ वीससहस्साई ॥ १६ ॥ गुज्जरदेसम्म समग्गगामनगरा इवासिसजणो ॥ जम्मुत्तिमटुसवणे पाएण समागउ तत्थ ॥ १७ ॥ अह सग्ग चालीसदिणाई पालिऊणं समाहिणाणसणं ॥ धम्मज्झाणपरायणचित्तो जो परभवं पत्तो ॥ १८ ॥ बहुभूमिगबहुकलसं अणेगसियधयवडेहि रमणियं ॥ वरसिरिखंडविणिम्मियविमाणमारोहिऊण तउ ॥ १९ ॥ निहारियं सरीरं जस्स बहिं सयलमिलियसंघेण ॥ एकं गिरखगमणुयं मोत्तूण सेसजणो ॥ २० ॥ नीसेसो निवनयरस्स निग्गउ जस्स दंसणनिमित्तं ॥ भत्तीए कोउगेण य मग्गेसु अलद्धसंचारो ॥ २१॥ सव्वए मयाउलेहिं सव्वाउ गजिहिं वंविहिं ॥ सव्वेंहि वियंभियसद्दबहिरिए अंबराभोए ॥ २२ ॥ पायारपत्थमडालए ठिउ परियणेण सह राया ॥ जयसिंहो पेक्खतो जस्सिर्द्वि नीहरंतस्स ॥ २३ ॥ तं अच्छरियं दटुं नारदपुरिसा परोप्परं बेंति ॥ मरणमणिपि हु इटुं मन्हए विभूईए ॥ २४ ॥ विउ दयाउ आरम्भ निग्गयंतं विमाणमवरन्हे ॥ पत्तं सक्कारपर समणुपयं लोकयपूयं ॥ २९ ॥ इज्जते मिउपसुयपमुहपवरवत्थाणं ॥ मिलियाई कोडियाणं तया सयाई अगाई ॥ २६ ॥
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