SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 113
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 12 EXTRACTS FROM MANUSCRIPTS जस्स पयपउमदंसणकयाहिलासो समाहिमलहंतो ॥ दक्खिन्नमहोहिणा परोवयारेक्कर सिएण ॥ १५ ॥ गंतूण जेण वंदाविऊण विहिउ समाहिसंपन्नो || धम्मवएदं माणं कराविउ वीससहस्साई ॥ १६ ॥ गुज्जरदेसम्म समग्गगामनगरा इवासिसजणो ॥ जम्मुत्तिमटुसवणे पाएण समागउ तत्थ ॥ १७ ॥ अह सग्ग चालीसदिणाई पालिऊणं समाहिणाणसणं ॥ धम्मज्झाणपरायणचित्तो जो परभवं पत्तो ॥ १८ ॥ बहुभूमिगबहुकलसं अणेगसियधयवडेहि रमणियं ॥ वरसिरिखंडविणिम्मियविमाणमारोहिऊण तउ ॥ १९ ॥ निहारियं सरीरं जस्स बहिं सयलमिलियसंघेण ॥ एकं गिरखगमणुयं मोत्तूण सेसजणो ॥ २० ॥ नीसेसो निवनयरस्स निग्गउ जस्स दंसणनिमित्तं ॥ भत्तीए कोउगेण य मग्गेसु अलद्धसंचारो ॥ २१॥ सव्वए मयाउलेहिं सव्वाउ गजिहिं वंविहिं ॥ सव्वेंहि वियंभियसद्दबहिरिए अंबराभोए ॥ २२ ॥ पायारपत्थमडालए ठिउ परियणेण सह राया ॥ जयसिंहो पेक्खतो जस्सिर्द्वि नीहरंतस्स ॥ २३ ॥ तं अच्छरियं दटुं नारदपुरिसा परोप्परं बेंति ॥ मरणमणिपि हु इटुं मन्हए विभूईए ॥ २४ ॥ विउ दयाउ आरम्भ निग्गयंतं विमाणमवरन्हे ॥ पत्तं सक्कारपर समणुपयं लोकयपूयं ॥ २९ ॥ इज्जते मिउपसुयपमुहपवरवत्थाणं ॥ मिलियाई कोडियाणं तया सयाई अगाई ॥ २६ ॥ EP
SR No.007582
Book TitleOperation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP Piterson
PublisherRoyal Asiatic Society
Publication Year1896
Total Pages420
LanguageEnglish
ClassificationBook_English & Catalogue
File Size88 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy