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________________ [ ७ ] माना गया है । रामायण, महाभारत आदिके मुख्य पात्रोंकी महिमा सिर्फ इस लिये नहीं कि वे एक बडे राज्य के स्वामी थे, पर वह इस लिये है कि अंतमें वे संन्यास या तपस्याके द्वारा मोक्षके अनुष्ठानमें ही लग जाते हैं । रामचन्द्रजी प्रथम ही अवस्था में वशिष्ठसे योग और मोक्षकी शिक्षा पा लेते हैं । युधिष्ठिर भी युद्ध रस लेकर वाण - शय्यापर सोये भीष्मपितामहसे शान्तिका ही पाठ पढते हैं । गीता तो रणांगण में भी मोक्षके एकतम साधन योगका ही उपदेश देती है । कालिदास जैसे शृंगारप्रिय कहलानेवाले कवि भी अपने मुख्य पात्रोंकी महत्ता मोक्षकी ओर भूकने में ही देखते हैं । जैन आगम और बौद्ध पिटक तो निवृत्तिप्रधान होनेसे १ याज्ञवल्क्यस्मृति अ० ३ यतिधर्मनिरूपणम् ; मनुस्मृति अ० १२ श्लोक ८३ २ देखो योगवाशिष्ठ. ३ देखो महाभारत - शान्तिपर्व. ४ कुमारसंभव -सर्ग ३ तथा ५ तपस्या वर्णनम्. शाकुन्तल नाटक अंक ४ करवोक्ति, भूत्वा चिराय चतुरन्तमहीसपत्नी, दौष्यन्तिमप्रतिरथं तनयं निवेश्य । भर्त्रा तदर्पितकुटुम्बभरेण सार्ध, शान्ते करिष्यसि पदं पुनराश्रमेऽस्मिन् ॥
SR No.007442
Book TitleYogdarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherSukhlal Sanghavi
Publication Year
Total Pages232
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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