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________________ [६] वर्णन वेदका शरीर मात्र है। उसकी आत्मा कुछ और ही है-वह है परमात्मचिंतन या आध्यात्मिक भावोंका आविकरण । उपनिषदोंका प्रासाद तो ब्रह्मचिन्तनकी बुन्याद पर ही खडा है। प्रमाणविषयक, प्रमेयविषयक कोई भी तत्वज्ञान संवन्धी सूत्रग्रन्थ हो उसमें भी तत्त्वज्ञानके साध्यरूपसे मोक्षका ही वर्णन मिलेगा। आचारविषयक सूत्र स्मृति आदि सभी ग्रन्थों में आचारपालनका मुख्य उद्देश मोक्ष ही १ वैशेषिकदर्शन अ० १ सू० ४धर्मविशेषप्रसूताद् द्रव्यगुणकर्मसामान्यविशेषसमवायानां पदार्थानां साधर्म्यवैधाभ्यां तत्त्वज्ञानान्निःश्रेयसम्॥ न्यायदर्शन अ० १ सू०१ प्रमाणप्रमेयसंशयप्रयोजनदृष्टान्तसिद्धान्तावयवतर्कनिर्णयवादजल्पवितण्डाहेत्वाभासच्छलजातिनिग्रहस्थानानां तत्त्रज्ञानानिःश्रेयसम् ॥ सांख्यदर्शन अ० १ अथ त्रिविधदुःखात्यन्तनिवृत्तिरत्यन्तपुरुषार्थः ।। • वेदान्तदर्शन अ. ४ पा० ४ सू० २२ अनावृतिः शब्दादनावृत्तिः शब्दात् ॥ जैनदर्शन तत्त्वार्थ अ० १ सू०१ सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः ॥.
SR No.007442
Book TitleYogdarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherSukhlal Sanghavi
Publication Year
Total Pages232
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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