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________________ करवाने अर्थे देवता देवलोक थकी आवो जलोदरनो रोग उपजाव्यो पछे ते वैद्यनो रूप करौ तेहने पासे इम कर्ह आछोथा एतो स्य आपोश ए असाध्य उभाषा रोग तदा ते जलोदरौ कहे जे मांगते आपोश तिवार वेद कहे जो माहरो माथे प्राव तो साजो करु' माहरी औषधनो को थलो उठाबजे बीजो काई मांगतो नथौ तिवारी ते वात मानी वैद्यरोग दूर कौधो तौवार तेहने वैद्य माथे लेइ माथे कोथलो दोधी ते कोथलोलेइ साथे भमे एतले देवमाया थकी जिम जिम चाले तिम तिम कोथलो भारी धाए ते भार वहता अतीसार थयो महाखेद पाम्यो जाई सके नहीं अने जाइ तो पाको जलोदर उपजे इम विमाशे इम खेद पामती साथे भमै भमता एक नगर मासा धने सूत्र भणता दौठो तिहां ते वेद भारवाहकने साथें लौधे साधु पाशे जाइ वांद देशना R सांभले देसना सांभली ते भार वाहक प्रते कहे तु दीक्षा लेतो तुझने छोडी तिवार ते भारवाहक कहे हवे दीक्षा लेवी तिहां तहने दीक्षा दीवरावी ॐ देवता देवलोक गयो पुठे तिण दीचा छांडी तिवार वली देवताई जलोदरी कोधी वली वेदरूप देवता आवी तेहने कहे जी दीक्षा लेतो तुझने साजी . कोजे अन्यथा साजो न धाए तिवारे तिणे वलोदीक्षा लेवा वात मानौ तौवारे तेहनो रोग नौवाखो वली दीक्षादिवरावी देवता देवलोक गयो वली तिम रजतोणे दीक्षा छांडी इम एहवी रोते वीण वार दीक्षा दिवरावी वैद्यरूपें देवता तेहनी साधे भमे सुलभ बोधी करवाने अर्थे इम करता विहार करता मार्गमे गांम आव्यो गाम बलतो दौठो एतले ते वैद एक तणनी भारी लेई गाममा जाए तिवारी ते साधु कहे बलता गाममां वृण लेई कीम प्रवेश करे छ लज्जा न थी आवती तिवारे वेद कहे तुमे पण क्रोध मान मायालो भमा बलीछी वारवार गृहस्थावासमां जायो छो वारवार तुमने समझावीए के 8 संसार अगन समान तुम किम प्रवेश करी छो इम उपदेश आप तो दुर्लभ बोधिने उपदेश्य न लागे वली तिहां थको विहार कर मांगें अटवी आवी तिहां देव वैद्यरूप ले ते मार्ग छांडी कांटा घणा तिण पंथे चाले साधु कहे कोम वाट छांडे कांटो लागमे देव कहे तुम कीम शद्ध पंच चारित्र छांडोस राय धनपतसिंह बाहादुर का आ० सं० उ०४१ मा भाग
SR No.007381
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1879
Total Pages1112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_uttaradhyayan
File Size32 MB
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