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उ० भाषा
अ०२
७२
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नही इम करतां कोइक ज्ञानी गुर आहारने अर्थ धाव्या तिते बालक देखो शरीरनोचेष्टा जोईने साधु बतलावें तिवारे पाडोसण स्त्री बोली की खामो ए बालक जन्मनोज गुगोके तिवारे साधु कहे ओगुंगो न थी हवणा वातो क इम कही एक गाथा कही यत गाथा तापस कि मिण सूत्र वरथपडि वज्ज जाणि यंधम्मं मरि उपारी रगजाओ जाओ पूतस्म पूतति १ अर्थ तापस मरी वरथयो सुवरने पुत्र माथी तिवारे सर्प थयो सर्प हो तिवारी पूर्वनें घरे पत्र थयो एहवी गाथानो अर्थ समझौन ते बालकने प्रतिबोध लागो तिबारे मुखे बोल्यो शुश्रावकथयो एतला समयने विषेसी श्रमात्य पुत्रो जोव देवो महा विदेह तीर्थ करने पूछे स्वामिमाहरो जौव शुलभ बोधी किंवा दुर्लभ बोधी तीवार तीर्थ कर कह त्वं दुर्लभ बोधी कोसंबी नगरीमा गुगानो भाइ बाइस एहवी भगवाननो वचन शृणी ते देवता गुंगा पायें आवे तेंहने बहु द्रव्य आ पौवात कहेड' देवता नाभवथको चवीस ताहरो लघुभाई बाईस बली माताने आनो अकालें दोहली उपजस्ये तिवारेतुं सदा फलग्राम आपजे वली मुझने ध उपजें प्रतिबोध लागे तिमकौजे ए वातनो मुझनें वचन आप तिवारें ते देवता वचन लेई देव देव लोके गयो एतले देवतानो आयु पूर्ण करौ तिहां अवतरे अनुक्रमे मातानें दोहलो श्राम्रनो उपनो तेज वने माता उपजे तिम श्राम्र श्रापी संतोष उपजाया अनुक्रमे जन्म घयो घणो उछाहेंना मदोषो अनुक्रमे ते गुंगी श्रावक उपाश्रय जाय तिवारे लघुभ्राता ने ले जाए तौहां ते वालक साधु ने देखि घणो रुदन करे अनुक्रमेंतें बालक हद थयो तेहने उपदेश साध अपेते दुर्लभ बोहि तेहने किमहो उपदेश नलागेतेतो वचने बंधाणी धर्मशालामा धर्म सांभ लवालेह जाए तेहने उपदेशन लागो एतले ते गुरुंगो श्रावक धर्म सांभली वैराग्य पणे पामो दोचालोधी रूडो चारीत पालो मरण पामौ देवता थयो अनुक्रमे देवताः ज्ञाने करो पूर्व भव वृत्तांत सम स्तदौठो तिवारें देवताने वचनदौधो हतो ते संभारे तौवारे देवता दुर्लभ बोधिनें सुलभ बोि
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राय धनपतसिंह बाहादुर का आ० सं० उ० ४१ मा भाग