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________________ ONE साधुर्वस्त्रेषु परिजौर्येषु सत्सु इति न चिन्तयेत् मनसि न विचारयेत् इतौति किं अहं वस्त्राभाव अचेलको निर्वस्त्रो भविद्यामि न विद्यते चेलं वस्त्रं यस्य स अचेलकः इति दैन्य न कुर्यात् अथवा एतादृशं जीर्थ स्फटितवस्त्र' मां दृष्ट्वा कश्चिधर्मामा दाता मह्यं वस्त्रं दास्यति तदाहं सचेलको 8 वस्त्रसहितो भविभामौ ति प्रमोदभाग् अपि न स्वात् एतावता वस्त्रस्य अप्राप्तौ वस्त्रस्य प्राप्तौ वाविषादी वाह! वा साधुना न विधेयः प्राप्तयाऽप्राप्ती: * सदृशे न भाव्य मित्यर्थः १२ पुनः साधु रेवं चिन्तयेत् एकदा जिनकल्यावस्थायां साधु रचेलकः स्यात् इय मपि साधो रेवा वस्था स्थविरकल्पे पिदुर्लभ • नेवंदाविवानेदस पुर आव्या देशना दौधौ वैराग्य थी रुद्रसोमा भाई फा रक्षित प्रमुखने दौचा दौधौ तेहवे सोमदेव पिता ते पिण पुत्रपासे रहे लाजना ॐ वस थी कमंडल धोतीयो उपानह आपणी लिंग मूके नहीं एकदा गुरु बालकांन सौखव्यो बीजा साधुने वांदिज्यो पिता सोम देवने मति वांद ज्यो * तिणे बालका तिमज कोधो तिवार सोम कहे तुम्हे माहरा बेटा सर्व वाद्या मुझने किम न वांदो स्यूं दीक्षा न थी लौवी बालकां कह्यो दीक्षा धारी पासे छवादिक न दुवे एहवी वचन सुणी छत्रनमंडलादि सर्वमे छांद्या पिए एक कडि धोतीयो राखे तेहवे एक साधु अणसण कौधे कालगतहुओ तिहां आचार्य कडि पटी छंडाडिवा भणी साधुने कहे अही साधु एमृत कने कांध करो वह महा पुण्य तिवारे सोमदेव कह्यो हुँ वही सवली गुरु बोल्या इहां घणा उपसर्ग थावे चेड़ालागे इम दृढ़ चित्ते सोम देवे मृतक लोधी आधेरौ जाता बालके संकेत थो धोतीयो काढ़ी लोधु' बोजो धोतीयो . साधु पहिराव्यो केतलो भूमिज इते बोसरावि गुरु कन्हे पाव्यो गुरु कह्या त्यावी लांबी धोतीयो सोमदेवने पहिरावी तिवार सोमदेव कहे जे सरौर देख तो हुतो ते दौठो हिवे एहज चोलपटो पर मानोपेत वस्त्र धारी सुधी चारीच पाल्यो तेण पहिली अचेलक परीसरीसह न सधी पके सधी हिम बौजे सहिवो इति अचेलक परीसह दृष्टांत अथाग्रे सूत्रं । वस्त्र रहित संयमने विषे अरति ऊपज वानी संभव ते भणी सातमी अरती परीसह कहे हे यामा भाषा राय धनपतसिंह बाहादुर का पा. सं. उ. ४१ मा भाग
SR No.007381
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1879
Total Pages1112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_uttaradhyayan
File Size32 MB
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