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________________ उ.भाषा अ०२ इतिसौत परौसह उपर दृष्टांत कयो के तापे करौ उन्ही भूमिका यौलादिकेप तापे करौनेप० वान परितेवो भने मैलएवं पने अभ्यंतर घा तेह थी उपनो दाध ज्वर त तेणे करी पौद्योधको थि उन्हालाने वा प्रश्ववा शरदऋतुने विष प०तापकरौ पौद्योयको साता मो.नवछि जे कहौर मौतल बास्लुंग * २०उन्हे तापे करौ अहि अत्यन्त पौद्यो म मर्यादावंत साधु सिम्रान मो.न बांके गा शरीर नो पांगीई' न सौंचे म. वौजणादिके करौसर्यवायरी न घाले अव उष्ण परीसह दृष्टांतः तगरा नगर प्रतिही मनोहर तिहां दत्तवाणिक तेहनौ स्वौ भद्रा पुत्र अरहबक ते सुखे रहे एहवे समे अरहनक मित्राचार्य पधाया तहने वांदवा सकल लोक आश्री गुरु धर्मदेसना दौधौ अत्यंत संसारविषयः दुःखमोह पास सांभलौदत्त बने भद्रा पुत्र पहबक साथ ट्रव्यनी कोडौ खरची सौहनौ पर चारित्रधर्भ आदरखो गुरु पासे भणे पिणदत्तने भणवो नावे पाके पडे काना किम चणे इम जो पुत्रने भणवे प्राप पोते गोचरी पांगे की प्रेम थको सखरी वस्तु सुखडो मौठाइ पेड़ा घेवर मुरको मेवाप्रमुख पाणी पोखे पोत अति नौरस आहार करे किवार साधु को पुत्रने गोचरी पांगरावो तुमने तप के तिवारे कहे वेया बच्चे लाभ के ई पांगरौस एवहरवानी वात न जाणे तिवार साधु कहे प्रागलि दोहिली थास्वे * दत्त कहे हिवड़ा लघु के इम तेहने सरस आहार सुखीयो कौधो केतले काले दत्त नामा साधु पासण करी काल कौधी तिवारे मोडधौरोवा लागो हे पूज्य हे पिता जी आजका न बोलो हिवे मुझने कुणपुत्र कही वोलावसे अने सखरा मधुरा आहार कुण पोखस्ये हिवेसंजमनी मौर्वाह दीहिलो हुस्ये इम विलाप करतां माता आवो कहे अरे पुत्र मोह न कीजे आखासौ राखी गुरु पौण वालकने गोचरी पंगरावे नही तिवारे गणेश गोचरी कर्ता कई माता भद्रा प्रावो कहे अरे पुत्र मोहन कोजे अखासी साखि गुरु पौणवालकने सुखसे जीयो करौ राखा पिण हिवे एहनी कामविणससौ साधु गोचरी पांगरतो ते भणौ उहाले नगरी माहि गोचरौ साथै गया गणेश आगल थौ चाले अने अरहबक शरीर नो सकमाल अने ऊपर सूर्यनो तापस वेलु उपवा राय धनपतसिह बाहादुर का श्रा.सं. उ. ४१ मा भाग
SR No.007381
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1879
Total Pages1112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_uttaradhyayan
File Size32 MB
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