________________
oco
तुम्हे आदेस देशी तिवार संभलोस्ये इम कहो उठतो धणे आग्रहे भोजन भणी राख्यो भक्तिपूर्वक जौमाडौ सभामंडपे बेसारी कन्यो जे माहरी 8 कन्या परणें तो एहने फल कई एहवा सांभली मूलदेव चिंतवा लागी अही भाग्यनी उदयठांमजावतांसगपिण मिलयो इणे कारण हर्षपाम्यो ॐ ब्राह्मण तिणे ज दिवस परणावौने स्वप्न फलएहवा कयो आज धको सातमे दीवसएगांमनी राजा था इसि ए वचन तहति करी मांन्यो सुखे तिहां
रहितां सातमे दौवसते नंगरनो राजा विणठी परं तेहने पुत्र काई नथी तभणी राज्यना प्रवर्तिक मिला हाथौ वोड शृंगारौ पउतार असवार पाखे माकला ते तिहांथको देवताने अनुभावि नगरमांहि बई वाहौर नौकलया क्रौडा हेते मूल देववाडी मांहि आवी चंपाना वृक्षनौचलिका याई आवोकल सढा लिगजेंद्रे सूडादंडस उपाडौ कुभस्थले वैसाखी छत्र आपणि विकास पाग्यो चमर चलवाला गाइयो खारवकौधो गाजते वाजते अनेकदसुपरि वखो नगरमांहि पईठी वीरसेन राजाई सोनाम दौधो राजाभिषे कहयो राजाधिराजा राज्य पालिवालागी तेहने प्रताप करी सीमाडा राजा आपण प्रावी २ मिला चिदिशि प्रसिद्ध धया उजेणिना राजा सहित प्रतीमांडी देवदता अत्यंत सरम जाणौ तिवार' तिहां तेडावी पटरांणी थापौ तिहां अचल व्यवहारीयो देशांतरे भ्रमणकरतो तिहां आव्यो साथ नगरने परसरि उतारि भेटलेई राजाने मिलवा आष्यो राजा इंते बोलख्यो परतणे राजा ओलख्यो नही राजाई मान सनमान देई अई दाणकरी मुक्यो अनेतेसाचे दाण करिवामाडवौया मोकलया तेहने वस्तु देखाडो तिण व्यवहारौई लोभनेवसे गाठडि गर्मित इति तेन कही दाण चोरी पकड़ी मांडवीए एक गांठि उखेलौ जोर मांही अनेरौ २ बहु । मूला वस्तुनी जाणौ चोरनी परे वाइवांधी तोडीदौन मुख राजा आगलि आणी उभी राख्यो राजाई कयो वाणीया लाभधौ वूडे अईदाणमंकको * तो पिण चोरौन छांडे हिवे राजानौ आंण भांगौतेनी दंड तुम्हने प्राव्यो तिवार अचल गाढो वौहवा लागी थरहर धूज्योछे जाणछे धन गयानी थोडी
राब धनपतसिंह बाहादुर का प्रा०सं० उ०४१ मा भाग