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________________ उ.भाषा RRK 9APAMS वतां मूलदेव देखो पुरुषां कन्हे सरडावी कढाव्यो यष्टिमुष्टिप्रहार घणा कौधा परं साहसपणो मूक्यो नहीं एहवी देखी इम जायो कोई उत्तम वंसनी पुरुष उपनो के इशो विमासो श्रेष्ठि मुहावी तेह प्रते कयुं जिम तुनेमुकुछु तिम तु पिण मुझने मूको जे एहवीवचन सांभलो तिहां धौ नौकलो एहवो मान म्लान जिहां थावे तिहां किम रहिये इम विमासौ देशांतर भणी निकलयो कन्हे सवल पुण नथौ तथापि चालो जातां २ आगलि अटवी आवो ते मांहि पइठो एक ब्राह्मण संघाते मिलयो ते साये जातां वे पीहर हुया तेतले एक तलाव आव्यो तेहनौ पालिवेठा ब्राह्मण आपका अकेला आहार कौधो परं मूल देवने कांई आप्यो नथौ तिवारे तिणि चिंतव्यो ए विहाणे मुझने देशौ इम करी पाणी पौने आघाचाल्या दीवमे पिण तिमन ब्राह्मण मलदेवने चिणि लंघन थया चोथे दिवसे अटवीई प्राति पाव्या तिण अवसरि ब्राह्मण का कोई अनेरे * मार्ग जास्थतिवार मूलदेवे का ताहरो स्य नाम ब्राह्मण का माहरा वेनाम छे माता पिता नो दोधु निzण शर्म तिवारी तेहने कहा 'जे मूल * देव मोटी हो सांभले तिवारे तु वहिलो प्रावो जे यतः जे गुण कोधे करे किसी निहोरी तास अवगुण कौधे गुण कर हु वलहारी जास १ इण * कारण मूलदेव उत्तम पुरुषने अवगुणौ नी पुण गुण ले इम कयो मुझ धको जहवा उपगार थासौ ते करिस्यु' इम कही आप पण वे ना तट नगरभणी * पंथ पूछोने चालवा विचालि एक गामो देखि मांहि पइठो तिहां सघले थरे भम्यो परं थोडा उडदनावा कुला लहीं गामथी पाछी वली तलाव भणी आवतां गांमसम्मुख आवती मासखमणने पारणे ऋषोखर मौलो ते साक्षात् धम्म मूर्ति विख्यात कौर्ति मलि मलिन गात्र पानदेखिही जहरखी तीण प्रदक्षिणा देईवांद्या इसो मनमांहि चिंतवा लागी ए महांत ऋषिश्वरएगामगाहि आहार न पांमे तेभणी लोक सत्व रहौ त अदाता तिणकारण हुबलो आगलेरे गाम आहारलेस्य आजजमे उडद लाधाई ते ऋषीश्वरने आपस्य इम चिंतवौ कहिवा लागी ऋषोखर मुझ कहे उडदनावा कुलाछे EXKAKKOREKKKKKAKKKEKKKKK6* राय धनपतसिंह बाहादुर का प्रा.सं.उ. ४१ मा भाग
SR No.007381
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1879
Total Pages1112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_uttaradhyayan
File Size32 MB
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