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________________ उ.भाषा प्र.३ SEXRR 8 वस्तु सांभलौर आवे के वेष्ठिने देखि दौकरा प्रमुखसा मुहा आवौ मिल्या आगत स्वागत पूछौ घरमांहि पाखी दौकरा पूच्या ए वडो व्यापार तुम्हे * 8 किहां थी मांद्यो तिवारी पुबे कयोतो ते रत्न वदले एतलाकिराणा लोधा के अम्हे जाणु छ घणोला भ हुस् तिवारे वेष्ठि कहा ते रत्ननी डावडी * मुझने देखाडी जेतले डाबडी दौठो ते तले मुझंगत आवो पद्यो जौवने धन ऊपरि एहवो मोहले इणे अवसरे शौतलोपचार कौधां चेतना वाहुडौ - श्रेष्ठि वेठो थयो ए डावडो माहरो तेणेज रत्ने करी भरी तिवारी दौकरा तेडा वडी भरौन सकोई किहां थौ भरे जे विण जारा न जाणोई किहां ना 8 तेहना नाम पुण न जाणोई जिहां गयाते पुण ठाम न जाणोई तिहां गया ते पुण ठाम न जाणीइ एहवोदृष्टांत गाढोदोहिलो तिषार श्रीगुरु कहे कदाचि तेडा बडी रत्ने भराई परं जे मनुष्य भव लही प्रमादवसे हारवौई ते लहतां गाढोदोहिलो एतले पांचमो दृष्टांत घयो ।५॥ हिवे छट्ठी स्वप्ननी दृष्टांत कहे छे एक नगर मूल देवसे नामे राजकुमार हुतो ते वाल पणे भणव्यो बहुतरि कलानो जाणहुवी अनुक्रमे योवन वय पोहतो कर्मने वसे जूवानी व्यसन तेने उपनी तिण विसनने प्रमाण लोक माहि सकलङ्क हुश्री जे भणी कह्यो नह घटा कर पंडुरा सजण दुज्जण हुब सूना देवल सेवीये तुपसाये * जूय २ इण कारणे जिहां जिहां जाई तिहां विश्वास कोइ न कर तिवारे मूल देवे इसी चिंतच्यो मुझने इहां रहता थोभा नहीं यतः माणिपण्डिष्पजे * * विण सणुती देस मावईज माहुज्जण करपल्लवे दंसिज्जत भमिज्ज ।। इसो विमासौ देशांतर भणी नौकल्यो यतः दौसे विवहचरियं जाणिजई सयण दुज णविशेषो अण्याच करिनजे हिंड जे तेण पुहवीए२ देशांतरे भमतां उजेणि नगरी पायो तिहां कलावंत देवदत्ता वैश्याने आपणी गुण देखाडो रंजवो मांही माहि राग जपनो तिहां रहिवा लागी अने एक गणिकावोजी तेहना घरनी गरढी अकाते मनमांहि घणु दूहवाई पूणे अवसरे ते गणिकाने घरि अचलइसे नाम व्यहारीयो आवे छ तेहने जे जोइये आदि कपूर अंतर लवण ते व्यवहारीयो आप तेह भागलि राय धनपतसिंह बाहादुर का आ०सं० .४१ मा भाग
SR No.007381
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1879
Total Pages1112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_uttaradhyayan
File Size32 MB
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