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________________ उ० भाषा अ०३ १३५ ******* पुरौ घणा पुत्र जाणौ ते वडो पुत्रराज्य भोग थो जाणौ राजाइ युवराज पदे स्थाप्यो राज सूत्र चलावे इम करतो घणो काल वउल्यो एकदा रात्रिमे समे सुतां एहवो अध्यवसाय बड़ा पुत्रना मनमांहि अपनो अहो माहरा भाइ घणा राजा प्रजौन जाणौये केतलो राज्य पालिस्य कालांतरि कुर्णस्य हुस्य स्यु' जाबो राज्य मुझने कि बाहुस्य नही तिए कारण हिवडां छतौ समर्थाई राजा विणासो राज्य लुंग तो रूडी इसी विचारों जाणी प्रभाति अभ्यंतर रसभाना मित्र तेडि आलोचो आपणपेराजा विनासी राज्य लौजे तो तुम्हारो हमारो मनोरथ पुहचे एहवे कह्य' हु'ते किणही कहां कहा किणही ना क' को मध्यस्थ रह्य, परं घणे काने वात पडो प्रच्छन्न किम थावे यतः षट्कर्णी भिद्यते मन्त्रयतुः कर्णो न भिद्यते द्विकर्णो स्यापि मन्त्रस्य ब्रह्माप्यन्त न गच्छति १ तथा कोइ राजानो पुत्रनो खल हुतो तिथे जइ राजाने को स्वामी तुम्हारो बडी पुत्र तुम्हाने विणसवा वांछे के इम जाणो सावधान रहिज्योतिवारे राजाई मनमांहि चिंतव्यो हु' पुत्र उपरि पाडूवो न चिंतवु छोरुकुकोरू होये परं मावोव कुमावौत्र न हुवे पण आणिनो उपाय करोद्र' इस चिंतवो एक न विनसभामंडावो तिथे सभाइ एकसो अठोत्तर स्तंभ कराव्या एकैके स्तंभि अठोत्तरसोर हांसि करावी सभा पूरी राजा बैठी पुत्र जेतला हुता वेतलाई तेहावि तिहां बेसाखा तेह आगलि इम को माता पिता ने कोर सर्वएक सरीखा किसी वामणी भांखि किसी जीमणी तेव्ह भो हुं राज तेहने आपिस्य जो मुझने जूये रमतां पासाना दाव पडतां लगतां एकसो अट्ठोत्तर दाव पडे एतले एकस्त भनी अट्ठोत्तर सो हांसि जोतीने इम वोजो स्तंम अष्टोत्तर सय दाव पडे तो जीतो इम तोजोचो थो एवं अट्ठोत्तर सो स्तंभ जोता ते पुवने राज्यदेशोपर जे एक सो भठोत्तरस्तंभ जोता अट्ठोत्तर सो मा स्तंभनी एक सो सात हांसो जितो एक जोपिवौ थाके अने तेहनो वादन पयो तो वखी वर थकी दामि मांडिया इणे परे से राज्य हाग्यो वल तो हाथ नावे इग्यार हजार कसे चौसट्ट दाव एकठा किम पडे एगाठो दोहोला श्रीगुरु कहे कदाचितेकिणही देवानुभावे राजाने ***X*X*X*X*X********************** राय धनपतसिंह बाहादुर का श्र०सं० उ० ४१ मा भाग
SR No.007381
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1879
Total Pages1112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_uttaradhyayan
File Size32 MB
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