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________________ अ०३ उ.भाषा: मक्यो एतले राजपदवीनौवेदवीनीवेला तिणे आत्मायति करौ तेतले राजपुरुषे ब्राह्मण अवध्य जाणो गल हथी देववाहिरि काट्यो पछे एक ग्राम का पडीने वेसेगयो तिहां ग्रहस्थनी पुत्री गुर्विणोछ तेहने चन्द्रमापौवानी डोहली ऊपनीछे ते जाणौ ऊपायकरौ तेदो हलो पूरी इम जायो ए उत्तम हुस्ये ४ तेहने पिण का ए पुत्र तुम्हने भलांनो कारण नथौ एहवो भय उपाय तिणमाग्योपइले दौधो काले मोटो हुओ जांणी लेगयो केतलें काले घणो 8 धन ऊपा एके गांमे गया तिहांडोकरीये' वालकने क्षौर पुरसौ वालके हाथखौर मांहि घाल्यो हाथवल्यो रोइवालागी तिवारे डोकरी कहे तु पिण चाणक्यनोपरि मूर्खदौसेछे चाणोक्य सुणौ पूछे किम चाणक्य पठित मूर्ख जे देश नगर साध्यां विना पाडलीपुर जासौ एहवौ चाणके साची जाणी तिहां थौ घणुदल लेई देश गामादि साधौ पाडलोपुरनो राज्य लोधी नंदऊ थापौ चंद्रगुप्त राजा हवो आपणपतिण राजाने सर्व मुन्द्रा व्यापारी रथयो एकदा भंडार धन खूटो जांणी बुद्धि करौ एक मोटी मालिरि बांधौ पासे मदिरानो घडी {क्यो लोकने कहेडु पिणपी बुछ राजा पौवेके तुमें काई न पौवो इम कही पाई पोते कहे अरे लोको मासम कुण द्रव्यनी धणी होसौ माहरे तो एक राज्य मुन्द्रा जनेऊ' मंडल अनेदंसु 8 वणनो कुडौ एहवो कहिनाचे झालिरिपासे पुरुषछे तेहने कहवे झालरि वजावीते बजावे एहवो सांभली एक मदमातो एक व्यवहारीयोवोत्यो अरे लोको कोइ हस्तौ नित्य बेहजार गाऊ' चाले तेहनौ पद २ लख २ सोनईयां मुंकतो जाउ' तोही हाथी थाके पिण माहरी द्रव्य नथी के - वजारि झालरि एवात मुहतालिखिता जावे वली एक व्यवहारीयो वीस्यो माहरे गाय एतलौछे जहनी मांखण तावौनाखतो गंगा जमुनाना प्रवाहरोको राख तेभणीव जाडो झालरि इम लक्षकोडि द्रव्यव्यवहारी याने पासिलोधी ते पिण खूटोजाणीवलौ धन उपार्जिवानका जे देवता आराध्यो देवताई अजय पासादौधा तेहथौ कोइ जीपौसके नही एहवो ऊपाय करौने सुवर्णमय थाल दौनार भरी आग मुंकि लोकने इम का तुम्हारी RRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRXXX राय धनपतसिंह बाहादुर का आ सं० उ०१४मा भाग
SR No.007381
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1879
Total Pages1112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_uttaradhyayan
File Size32 MB
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