________________
RX
छ टोका प०३६ १०६८
दुच्चाए जहवेण एग'तु सागरोवर्म १६४] दितीयायां नरक पृथिव्यां शर्कराभायां अन्त्यमे प्रस्तटे नारकाणां उत्कृष्टत्वेन बौणि सागरोपमान्यायुः स्थितियख्याता: जघन्य न तु एक सागरोपमं आयुः स्थि तिर्व्याख्याता १६४ (सत्तेव सागराज उक्कोसेण विवाहिया तइयाए जहवेणं तिब्रव सागरोवमा १६५) तृतीयायां नरक पृथिव्यां वालुक प्रभावां अन्त्यमे प्रस्तटे उत्कृष्टतः सप्तसागरीपमानवायुः स्थितिाख्याताः जघनात स्त्रोणि सागरोपमाणि स्थिति ाख्याता १६५ [दससागरोवमाज उक्कोसेण विवाहिया च उत्थीए जहनेणं सत्तेव सागरीवमा १६६] चतुर्था नरक पृथिव्यां पङ्कप्रभायां अन्त्य प्रस्तटे उत्कृष्टेन दशसागरोपमानि स्थिति र्व्याख्याताः जघनान तु सप्तसागरीपमानि आयुः स्थितिः
नेणं दस वास सहस्मिया १६१ । तिन्नेब सागराज उक्कोसण वियाहिया। दुच्चाए जहन्नेणं एग तु सागरोबमं १६२ सत्तेव सागराज उक्कोसण वियाहिया। तड्याए जहन्नेणं तिन्नेवउ सागरोबमा १६३ ॥ दस सागरोबमाऊ उक्को
सेण वियाहिया। चउत्योए जहन्नेणं सत्तेवउ सागरोवमा ६४॥ सत्तरस सागराज उक्कोसण बियाहिया | पंचमाए कृष्टो कहो तीर्थ कर कह्यो पहली रतनप्रभा पृथवीने जघना दशहजार वर्ष पहेला प्रतरनी अपचा १६० तीन सागरोपमनी पाऊखु उत्कष्टो कह्यो तिर्थ कर वोजो पृथवीर नारकौने छहले प्रतर एक सागरोपम पहेला प्रतरनी अपेक्षाइ १६. सात सागरोपनी पाउखो उत्कृष्टो कयो उत्साष्टी भगवते कह्यो तीजी पृथवी नारकीनो हेहलो प्रतर जघन्य तौन सागरोपमनी अपेक्षा पहिला प्रतर १५१ दशसागरीपमनी पाऊखी उत्कृष्टो कह्यो चौधौ पृथवी नारकीनी छहले प्रतर सात सागरीप मनोहुदा पहिला प्रतरनी अपेक्षा १२ सतर सागरीप मनी पाऊखी सत्कष्टो को तीर्थ करे
राय धनपतसिंह बाहादुर का पा.सं.२.४१ मा भाग
भाषा