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(कप्पासमिनाया तिन्दगाती समिञगा सद्दावरौय गुम्यौय बोधव्वा इन्दगायगा १३८) [इन्दगोवग माईया गहाएव माईश्री लोएग देसे ते * सब्वे न सम्बत्य वियाहिया १४.] कन्यु पि पौल्यु हंसा कन्य लघुशरीर स्त्रौन्द्रिया जौव: पिपौलिः कौटिकाः उद्दसास्त्रीन्द्रिय जाति विशेषाः
उत्कलिकोजन्तु विशेषास्तथा उपदेहिकाः तृणहार काष्टहारा एतपि वीन्द्रिय जीवविशेषाः मालूकाः पन हारकाः एतपित्रौन्द्रिय जीव विशेषाः १३८ • कर्पासास्थिजाता स्ति'दुकाः पुनस्तं तु समिनका अपित्रीन्द्रियजीव विशेषाः सदावरी च पुनर्गुणी इति यूकाः तथा इन्द्र काय कायका इत्यपि
कुत्रचिल्लोक प्रसिद्धाः १३८ इन्द्र गोपकादिकाः इंद्र गोप काम मोला इति प्रसिद्धः एवमादिका स्त्रौंद्रिया अनेकधा जौवास्ते सर्वे लोकैक ॐ देणे व्याख्याता सर्वत्र न व्याख्याताः १४. [ सन्तइ पप्पणाईया अपज्जव सियाविय ठिई पडुच्च साईया सपज्जव सियाविय १४१ ] एते वीन्द्रिय जीवाः
तेसिं भेए मुह मे २३७ । कुधू पिपीलि उदंसा उक्कलुहेहिया तहा। तणहार कट्ठहाराय मालुगा पत्तहारगा१३८ । कप्यासट्टिमिंजाय तिंदुगाओ समिंजगा। सयावरीय गुम्मीय बोधब्बा इंदगाईया १६८ । इंदगावग माईया रोगहा
एव माइओ लोएग देसे ते सब्वे न सब्बत्य वियाहिया १४० | संत पप्प णा या अपज्जव सियाविय। ठिई पडुच्च रादि जे जौव जाण मालका पत्रहार १३७ कपासना जीव अठमिंजी जौब तिंदुक जीवतो समि' जगजीव सदावरी जीवघकाश तपदी जीव जाणि वाईदकाइय जीव १३८ हूँद्रगोयमामोला प्रमुख अनेकप्रकार त्रद्री जीव लोकने एकदेशे ते सर्व सगले लोके कह्या नथौ १२८ संतति प्रवाह अनादि अने अपर्यवसित केहडी भवथिति कायथिति आधी आदिछ भने सपर्यवसित सांत पीण नौच्चे १४० भोगणपंचास दिवस उत्कष्टी स्थिति कही तेंद्री
राय धनपतसिंह बाहादुर का पा०सं०९०४१मा भाग
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