SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1001
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ • टोका प०३४ १०.२ सूत्र भाषा XXXX खलु उक्कोसासाठ समय मम्मदिया जहणं सुक्काए तेत्तीस मुहत मन्महिया ५५] या पद्मले मायाः खलु निचयेन उत्कष्टा स्थितिर्वर्त्तते सा एवस्थितिः एक समयाभ्यधिका जघन्येन शुक्लायास्थितिर्भवति इयं शुक्कले शायाः स्थितिः षष्टस्थलांतक देवलोकस्यापेक्षया उक्ता अथः पुनः शुक्कले माया उत्कृष्ट स्त्रय स्त्रिशसागरोपमाथि अन्तर्मुहर्त्ताभ्यधिकानि स्थितिर्भवति इयं स्थिति स्तुपंचानुत्तरविमानापेक्षयात्रेया ५५ अथ लेश्यानां गतिहारमाह [किन्हा नौलाकाऊ तिथिविएयाओ अहमले साओएयाहिंतिहिषिजीवो दुम्बइ उववज्जई ५६] कृष्णानोलाकापोता एतांतित्रोपिलेश्याः अधमाई याः एताभिस्ति सृभिर्जीवोदुर्गतिं उपपद्यते ५६ [ते उपम्हासुका तिखिविण्याओोधन्मलेसाओ एवाहिंतिहिंवि जोवोसुम्बइ उववन्नई ५७ ] तेजस्याद्याः तेजः पद्म शुक्ला एतास्तिस्रोपि लेश्याधमाधर्मनिबन्धिन्धो न याः एताभिस्तिभिर्लेश्याभिर्जीवः सहतिं उपपद्यते ५७ [लेसाहिंसव्वाहिं पढने समयंमि परिणयाहिं तु कविवाची पर भवे अत्थि जौवस्त ५८ ] (लेसाहिं सव्वाहिं चरमे समयंमि • ५८) सर्वाभिर्ले ग्याभिः कृष्णनोलकापोत तेजः मद्मशुक्लाभिः षड् भिः हिया ५५ ॥ किम्हा नौला काऊ तिनिवि एयाओ अहम लेसाओ । एयाहिं तिहिंषि नोवो दुग्गाइ उववज्जई ५६ ॥ तेऊ पहा सुक्का तिनिवि एयाओ धम्म लेसाओ । एयाहिं तिहिंवि जौवो मुग्गद् उववजई ५७ ॥ लेसाहिं सव्वाहिं तेतौस सागर मुहुर्त्त' अ ंतर्मू हते अधिक उत्कष्टो शुक्ललेश्यानी अनुत्तर विमाननो अपेक्षा ५५ हवे लेश्यानो गत कहेले कृष्णलेस्या नौल कापोत लेस्या त्रिण एअधर्मरूप लेश्या महापाप आवि वा ना कारण भयो एतीन लेश्याइ जीव नरक तिर्यंच गतिरूपदुर्गती ऊपजे ५६ तेज पद्म शुक् लेश्या तीनए धम्मलेश्या कहे नोर्मल धम्र्मना कारण भयौ एविह' लेश्या जौव मनुष्य देवलोक रूप सद्गतिं भलि उपजे ५७ लेख्या कृष्णादिक सर्व पडिवर्जिवा पाश्री *********************************************** राय धनपतसिंह बाहादुर का था• सं००४१ मा भाग
SR No.007381
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1879
Total Pages1112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_uttaradhyayan
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy