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________________ 1 मरक विषायेत्यर्थं पोच ए पेवति इत मानायचहोणार प्रेय जान्तरे देव प्राद मेवे यति भय के कार जोकि यह मे पत्वचासत्रा' जोवा पचेन्द्रियतिक्रममुपखचणा मामागरादय शम्वत् प्रथामा यति धकामानां निरायन मिसापियां चावट कथा तवा पर मध्यम प्रकाममहाशय पद समससे पजमममय परिभावेचंद पूल हो याति च संगति मामा भए पश्चादेवेसिया गोश्रमा प्रत्ययादेषेसिया धत्य गाभायोवेसे या सोया भंते पचति परवेश्रादेयेसिया पाबेगर भायोदेषेसिया गोधमा बेर्म जीवा गामागर नगर निगम रायहाणि खेड कम्पड मडंब दोयम पट्टया सम समाच सबिसेषु श्रकामत यहाए अकामछुहाए प्रकामयम पापकर्मवत्तोमसोम बोषस्य घोमरस्वाम्यत्रो महेशपरमविकांतरमनिवरदेवतायात्र Aretentबाद देवतापचेपामे पूर्वमा सावजीव देवतानचा यदेवता पण नपामर से जितानंतर बेपरवाह सार बहते हासोरेगोसमशिष्य एजीवचेतनामचय प्रेममय एमबहार मे सारीवदेवताबार पूस सारोलीदेवतानबार एमपीजी तिच सनिवेशनबी द्रव्यमुखपरपंचावरील हित पाठयभयपच पनरतभूमि चाश्रम नगरजिचांगवादिवमुचरम निगम वहां माविमनामास राजधानी राजनिवास पहिपेमविडियोमोबाइल्यादिकम निम राम्रोकामनाच भिचाब पोगीतम ममुचरूप बामणाविरोवोटाड प्रागरसुवर्ष सवा पेरिम्बितमनर मां | तापवनिवासठीम पापपर्वतचनियामतबापाच ग्राम
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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