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________________ o nloPosts पामनिवास वभषा व्यतरा परसोपण अमान्तरस्म निषिसाधनाइनुदास पाराधका निष्पादयाति प्रय' नीराति मायमर्थ समात्ति समर्थ संगत रत्व तर परममिमायो ये हि सम्बदमधामपूर्वकानुष्ठानतो देवा स्याएवम्तया पानन्तप पारम्पारवा निर्वा पासवच भगन्तरमा यन्ति तनये तु मामा ५ व सेवाडि मूग त नवर से पदो पपयप्दा पवाद वाघोपचे पार्गे पामादय माम्पत् पम्याति पनि परानिवासम यानि सीपमानि पासपी पादयोपविधनपिपा नियसवगति निगड़ानि होपमयानि पादरी धनानिरिणामति परिमोटक पारवहमति गरकोगुतिः सपचिचगति मरो माघटिया मजच्छिवगति मध्य प्रदरदेश वाक्छ सेमे गामागर षगर निगम रायणि खेड कम्बट मसन दोणमा पट्टया सम समाह समिधेमेसु मणुपा भवति तंबा घंवाहवा णिपलमनका डिवचका चार गवसका इत्यच्छन्त्रका पायच्छिन्द्रका कमरिसका है वीरपामवाग्विीटायोपागर सुपरसवपना नगरविकांगादिचतुहरनयो निगमवाणिपामावासठाम रामधानोराबानगीनिवासनगरो । पेग्यूमि मपोगवामि कटामितनमर मनिहाटकर मनिवेममयो द्रोण मुसजनपक्षमसवासषित पाटणजपचपनरवभूमि पायमतापस निवास मेम साधपर्वतचररिपामतषापासपाम संनिवेममरूपारिघोसीगोवतीप्रमुपमाठामवासनविषा एवामनुष्ष परतवापर तेगारदा परवाहमयाबपगनबंधन निपसहवासीरमधपगनाधनोप्रमुख सिवाष्ठमरपोरपोपगसंबधीत पसाबंधननिगराध्या चारगरीषामा नाविषयमा अनावश्याचाप्यार मेहमापपळे याबाप्पाहर अनावानच्चेपा,
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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