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________________ पेति मोरकोमा महः कठिनोभूत पहोम एव खेदेमाद्रीभूत प्रामादयस्तु प्रतीता भवानादिभिर्य परिताप स तथा तेन प्रप्यतरोवा मुख्यतरो वा कालति पुरवत लेन विभश्चिपरिणामादश्पतर वा भूयस्वर वा बास वापत पत्तरसुति मह मध्ये एकतरेषु वायमतरे सुत्ति 'वेरवासेय श्रकामभयदायक सोवा वषदंस मसग क्षेत्र अलमल पक परिभावेगं चप्पतरोत्रा भुञ्जतरोवाकाल अप्पाण परिकिलेस तिप्पतगे या भुज्जतरोवाकाश्व अप्पायं परिकिजेसिता काजमा से कालं किच्चा पपतरेस वाण मतरे देषaley देवताए उत्तरोभवति तर्हिते सिगतौ तहिते सति तहिते सिवापत तेस यां featuretentiatiयवे मिराना कामतापमिवापविमायुधाभूपसहिषी मिव्य रानापभितापमाव विनामचर्यं विपश्वसिव प्रोविपय सेवाभि ( feat for रामोशामनाथ भिष्ठापविना भ्रानचं गोड सिनकरिव भावविना सोततादिसचिव माषविप्रातपतपोभावविनाजास भावविनाम मोहिम भावविना परिसेवी भाववितारणमात्रपरख्या मावविना बठनमल भावविमाभोग मन्त्रपरिषठ पूर्वोमारिकपरिताप शत्रु भोगविवर्तयन् धनपतरवोडाकाससगो तथा मुख्य तर घ] बावाससमौ पप्पाच प्रापण घोषामापतिशयस्तु करीन मपमा साताभोगव wwwrestat terrent तवामुखतरपचाकालागी पप्पाचप्रापवश्री प्राभामरौरभतिशयस्तु भपमाडीकरोनर वासमासे मरणनावसरमविपर वासमकरोने घामेदव इसे हम घमेरा कोई एक व्यंतरवादमंतरमा देवलोक देवता नावसिवामाठोमन विपद् देवतापयर अपनिषभोष्पपातमि वाईपतविपत्र विज्ञातवासव्यतरमादेवीवविष संदभवं तमगतिगमन तितिपूर्वोक्तमितिभाउपत्र तहविवपूर्वोत
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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