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________________ H. H प्रममतापमोमा पर्नन पनयनादि तप का पनन मारपित्त प्रतो वा पगंन पोर पोर धर्मवषा नागौर वानरामे मापुरषोसा पनन संसार वा निरा पोर रस्से हार का उपाय बमा पिर छ स पर वर्नन एस. पातावासो मागजमारादि वा यन म. समे वतापी वान प विमानवासी पनायुमारादिमी का वर्णन मे पागे पम्पा नगरी के नागरित योगो पा राणा पाने यो का समद्रादिव रापोपोंका विदेशी ववनो वा पनंग पिर पागे शून्यपादादि मन से पान पूर्वच पात पपार और रसी के वीर मरका मा पनगी को समरमरण कथा को ममामि । पिर पारी यो महापरणोपा बेठा पिप यो रवभूतितोय पलंग पोर । उपपात प्रश्नमा पपतारना ये रोनों उपोहात में कर दूसरे दस मे यो महापोर जी ने यो र इभूति प्रतिजमवध सेवा समिति न सविस्तर उपपात पा उपदेम किया है। इसके सेवाय पोरमि पमेव प्रकारके हितोपदेश तिम् जामनेमे पदप पचानामगर पोरे पान दिवाबर प्रगट होता पनुनमम बन्ध मरवादिमे विमुख होने परमपदयो प्रामहो । मनिये पाठवर्गों में प्रार्थनारे बोरस पयो पाए रिच पाठवर त्रिम गरम पानाएर प्रगटोय पोर मरामि बम सपरोय. माप गदोपत्रोमगाराप धनपरित Relamhahicle
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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