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छेद का एक बड़ा भारी उपद्रव हुआ । इस कारण महाजन संघ से कई लोग उपकेशपुर त्याग कर चले गये, कई लोगोंने नया नगर बसाया और कई लोगोंने अन्य नगरों में जाकर वास किया । उन महाजनों की सेवार्थ भोजक लोग भी साथ में गये इस कारण भोजकों का अपर नाम "सेवग " हुआ । महाजन उपकेशपुर से अन्य प्रदेश में जाने से लोग उनको उपकेशी कहने लगे वे ही उपकेशवंशी लोग आगे चल कर ओसवालों के नाम से मशहूर हुए ।
महाजनों का भाग्य भास्कर - राज तथा राजसेवा और व्यापारादि कार्यो से मध्यान्ह के सूर्य सदृश प्रचण्ड एवं तपतेज पराक्रम तथा धन-धान की वृद्धि और उनकी सन्तान भारत के चारों ओर प्रकाश डालने में भाग्यशाली बनती गई। इसका मुख्य कारण उनकी विशाल उदारता, विश्वप्रेम, स्वाधर्मियों से प्रीति - वात्सल्यता और धर्म भावना ही थी ।
महाजनों के सोलह संस्कारादि क्रियाकाण्ड श्रीमाली ब्राह्मण करते थे और उनका जुल्मी टेक्स इतना भारी था कि साधारण जनता को सहन करना मुश्किल था, पर ऊहड़ मंत्रीने इस जुल्म का अन्त कर दिया' अर्थात् महाजन संघने
का दुःसहास किया कि टांकी लागते ही रक्तधारा निकली । सुतार वहाँ ही गिर गया, देवी का कोप हुआ। बाद श्राचार्य कक्कसूरिने वहाँ देवी को प्रसन्न कर शान्ति कराई ।
१ तस्मात् उकेशज्ञातिनां गुरवो ब्राह्मणा नहीं । उएस नगरं सर्वकरण समृद्धिमत् ॥
सर्वथा सर्व निर्मुक्तामुसा नगरं परम् ।
तत्प्रभृति संजात मितिलोकः प्रवीणम् ॥ ( समरादित्य कथासार )