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व रोटी आदि देते है वह उपरोक्त कामों के बदले ही देते हैं। दूसरा कोई सम्बन्ध नहीं हैं। याद रखो जैनियों के पास गुरुपने का नाम भी लोगे तो तुम को बुरी हालत से निकाल देगें । जैनियों के हुकम मुवाफिक काम किया करों। बसइसमें ही तुम्हारी जीवनयात्रा समाप्त होगी।
पत्रिका नम्बर ४ महात्मा रिषभदासजी ने अपने लेखमें वर्तमान सेवगों को भाट सिद्धकर बतलाया है । वास्तव में कई सेवगो में भाट तो क्या पर कंगला और नानकशाही के लक्षण भी पाये जाते है।
जगद् प्रसिद्ध महाराणा प्रतापको संकट के समय असंख्य द्रव्य की सहायता देकर जननी जन्मभूमी मेवाडको स्वतंत्र रखनेवाला श्रीमान् वीर भामाशाह कावडिया उदयपूरवालेके यहां श्रीमान् कर्मचन्द बच्छावत बीकानेरवाला के कुटुम्ब की बरात (जान) आई थी उसी ब्याहमें भामाशाहने सेवगों को एक क्रोड रुपयों का दान दिया था जिसके उपलक्षमें सेवग लोगोंने एक कवित कहा है। शासन गज दश सात तुरी सातसौ मंगाये ।
सोना मण एक शुद्ध, रूपो मण पांच तुलाये ॥ सहस्र गाय और भैस, किरिया सातसौ करमाला।
नव हीरा दश पन्ना एक मोतीयन की माला ॥ बोसठ वर्ष पन्द्रह समय मास अगण वद पख में ।
धन्य त्याग आदि धरा उपरे क्रोड दान दिनो खमें । १ ऊंट । २ समय में कबि धोखा खाया है।