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(१२) विवाह की कंकुपत्रिका ग्रामोग्राम देने को सेवग जाता है। इसी प्रकार मृत्यु की चिठ्ठीयें भी देने को सेवग जाता है । - (१३) मन्दिर, उपाश्रय और धर्मशाळा में हमेश काजा - कचरा कूढा सेवग निकालता है ।
(१४) महाजन ( पंच ) किसी कार्यवश गामान्तर जावे तो सेवा - चाकरी में सेवग साथ में जाता है ।
(१५) जाती वा संघ सम्बन्धी कोई भी कार्य हो तो चाकरी मे हमेशा सेवग हाजिर रहता है ।
(१६) मृत्यु के बाद कांसा नावणीयों का बलबाकुल सेवग लेते है ।
(१७) लग्न में ढोली को बुलाने को सेवग जाता है । मृत्युके पिछे हजामत कराने को नाई को बुलाने सेवग जाता है । (१८) मोसर - टाणे में न्यात (जाति) जीमने के बाद ढोल बाजते है उस समय के दान में भी नाई, ढोली और सेवग का भाग होता है ।
उपर माफक सेवा सेवग करते है बलकि किसी २ प्रान्त में इससे भी हलके काम करते हैं । बुद्धिमान विचार कर सकते है कि उपरोक्त काम करनेवाले कमीन होते है या गुरू ?
सेवगों । अन्य लोगों की भांति जैनियों के घरों में इतनी पोल नही है कि उपरोक्त कमीनपने के कार्य करनेवालों को, जैनी, गुरू मान लें । बलकि जैनी सेवगों को त्याग * कई कई प्रान्तोंमें और भी रिवाज होतें है ।