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(३०) शर्त करके पीतलकी थाली देवे । यदि अधिक करे तो
पुलिसका थांणा वतला दो। (४) लग्न-ब्याह, प्रतिष्टा, उपधान, उत्सव आदि प्रसंग पर
सेकडों सेवग एकत्र हो जाते हैं फिर फैल फितूर कर घर धणिको बहुत कष्ट देते है। अतएव सेवगों से सम्बन्ध बिलकुल तोड़ दिया गया है। उनको एक पाइ भी देने की जरूरत नही है। इन निन्दकों को देने के बजाय गायों को घास और कुतोंको रोटी देना अच्छा है कि
वे बिचारे सेवगों के भांति निन्दा तो नही करतें हैं। (५) जब सेवग निकम्मे रहते हैं तब गामड़ों मे या दिशा
वरों में मांगने को निकल पडते हैं और जैनों को बहुत तंग करते हैं, मुंडे बोलते है, अश्लील कवित बनाते है। परन्तु अब उनसे डरने की जरूरत नहीं है। साफ कहदो कि अब तुम्हारे साथ हमारा कोई सम्बन्ध नही
है । ज्यादा करे तो उनपर रीतसर कार्यवाही करो। (६) सेवगों ने जैन मन्दिरों में कई अन्य देवी देवताओं
को बैठा दिये हैं जिनको पृथक करने में जैनों कों लाखों रुपयों का व्यय करना पड़ा है। अतएव भारत के सर्व जैन मन्दिरों में जैन के सिवाय किसी अन्य धर्मीकों जैन मन्दिरों की पूजाका काम नहीं देना चाहिये। इस समय जितने विधर्मी पूजारी हैं उन सबको शीघ्र ही निकाल देना चाहिये ताकि भविष्य मे अन्य देवी देवता जिन मन्दिरों में न बैठा सके । और दूसरी अनेक जातकी आशातना से भी बच सकेगें।