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पत्रिका नम्बर १० जैन श्री संघकी सेवा में एक जरूरी
-: निवेदन. :(१) ग्रामों के कई अज्ञान जैनी हाल थोडे समय से सेवों
कों पगे लागण करने लग गये हैं । यह सर्वथा अनुचित है क्यों कि सेवग आपके याचक (मांगनेवाळे) है। अनार्य देश से आये हुए अनार्य है। अतएव कोई भी जैन सेवगोंको पगेलागना न करें। यदि सेवग आपके पास आ कर, कहें कि श्री पार्श्वनाथ उदय करे तो आप
कहो ' आओ सेवग' यह प्राचीन समय की प्रथा है। (२) सेवगोंसे राक्खी मत बंधाओ। विष्णु लोगोंके ब्राह्मण
राक्खी बांधते है वह तो उनके गुरु यजमानका व्यवहार है । पर जैनियों में न तो राक्खी का त्योवहार है
और न गुरु यजमानका सम्बन्ध है । सेवगोने करीब २०४३० वर्षों से जैनों की पोल देख राक्खी बांधना सरु की हैं । अतएव कोई भी जैनी सेवगोंसे राक्खी नही बन्धावे । जो कोइ इस आज्ञाका उल्लघंन करेगा
वह जाति द्रोही धर्म विराधक समझा जावेगा। . (३) सेवग लोग कभी २ कच्ची रसोई पानेसे इनकार करे
तो उनको रास्ता बतलादो। उनको कांसी की थाली हरगिज मत दो । उनकी एंठी थाली वेही मांझे एसा कई ग्रामों में बन्दो वस्त भी हो चुका है आपभी यह