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________________ (२८) कोई नयेसर धारण नहीं करवाते है यह तो पूराणे समयसे रिवाज चला आता हैं । इस रीति को बंद करने से अपने संघकी वो गाम की हलकी लगेगी। आठवाने--हलकी तो एक ग्राम में हो दूसरा में न हो तब लगती हैं पर सर्वत्र यह प्रवृति हो तो कौन किस कों कह सक्ता है। नौवाने--ऐसा तो अपने अन्दर संगठुन कहां हैं एक साधु कहता है कि ऐसा होना चाहिये तब दूसरा कहता है कि नहीं होना । अब किसपर विश्वास रखे । दशवा-सब मुलक की वात क्यों करते हैं अपने तो अपने ग्राम की वात करना है । लो शालभर में एक मास के लीये तो हमारा नाम लिखो। बस । उपरा उपरी नाम लिखना शरू हुआ कि एक मनुष्य को तीन वर्षों में एक मास आया अर्थात् ३६ मनुष्यों ने एकेक मासका नाम लिखा दिया यदि इस प्रकार ग्रामोग्राम और नगरोनगर श्रावक लोग अपना कल्याण समज कर स्वयं पूजा किया करे तो एक वर्ष के ढाई किरोड रूपये का वचाव और मन्दिरों की आशातना दूर हो भक्ति पूर्वक सेवा पूजा होती रहै । नव युवकों में जीवन है उत्साह है पुरुषार्थ है भक्ति है धर्म पर श्रद्धा है और कार्य करने में वीर है । इन सब बातों को प्रत्यक्ष में कर बतलानेवालो को कोटीशः धन्यवाद हैं । शम् ॥
SR No.007296
Book TitleAnarya Krutaghni Sevago Ki Kali Lartoote
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimal Jain
PublisherMishrimal Jain
Publication Year
Total Pages34
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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