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________________ ( २४ ) देते है वह बच जायगी। और इनसे आधी रकम आप अपने स्वाधर्मी भाइयों को सहायता दोगें तो उन १००००० भाईयों का अच्छी तरहसे निर्वाह हो सकेगा। इनके अलावे और भी अनेक फायदा है वह आपको इस कार्य को प्रारंभ करते ही मालुम हो जायगा । ___ जैनों में यह एक प्रथा सजड़ घर कर लिया है कि धर्मादा खाता की नोकरी नहीं करनी यदि कोई करे तो उसकी इजत हलकी समजते है । पर यह बिलकुल भुल है नेकीसे काम करना और एक आदमी या साधारणसे तनखह लेना किसी प्रकार से अनुचित नहीं हैं जरा सोचिये जैनों कों हजारों मन्दिर और तीर्थोपर विधर्मी नोकर रखने से जैनों कितना नुकशान हुआ ओर होता जा रहा हैं । क्या जैनपूजारी या कारखाना में जैनमुनिम होता तो शत्रुजय के शालभर के ६००००) तथा श्री केसरियाजी तीर्थकी. यह हालत हो सक्ती? कदापि नहीं। अबी भी समय है जैनों कों सावधान होना चाहिये । जैनाचार्यो मुनिवरों को भी इस वातका जोरों से उपदेश देना चाहिये और गृहस्थों को भी अपने संबन्धियों को इस कामके लिये प्रेरणा करनी चाहिये। कारण जैनमन्दिरों की आशातना दूर करना तथा सेवा भक्ति ब सार संभाल करना और बेकार स्वाधर्मी भाइयों को सहायता देना तीर्थकर नाम बन्ध का मुख्य कारण है । ____ अंतमें हम आशा रखते है कि इस मेरी योजना को हमारे स्वधर्मी भाई अवश्य पसंद कर के हमकों सहयोग देंगे
SR No.007296
Book TitleAnarya Krutaghni Sevago Ki Kali Lartoote
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimal Jain
PublisherMishrimal Jain
Publication Year
Total Pages34
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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