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( २३ ) रते है इतना ही नहीं पर धर्म से पतित हो अन्य धर्म में जा रहे है । यदि उन वैकार भाईयों को मन्दिरों की पूजा करने में लगा दिया जाय तो क्या हरजा हैं क्यों कि मन्दिरों की पूजा करना खास श्रावकों का ही कर्त्तव्य हैं यदि सबसे यह न बन सके तो वे द्रव्य की सहायता दे अपने भाईयों से ही मन्दिर पूजावें । आपके भाई अगर मन्दिर पूजेंगे तो निम्नलिखत फायदे होंगे। (१) जैन भाई पूजा करेंगा तो आज जो मन्दिरों की आशातना
होती है वह न होगी आशातना न होने से आपका पतन
होता रूक जावेंगा । और उन्नति होगा। (२) जैन पूजारी होगा तो वह आत्मसमर्पण करने तक मन्दि
रकी रक्षा करेंगा। (३) जैन पूजारी होगा तो जो ९००००००) रूपये देवद्रव्य
के विधर्मी पूजारियो को दिये जाते है वह बच जायगा । यदि उस द्रव्य से आप मन्दिरोंका जीर्णोद्धार करावेंगे तो आपका एक भी मन्दिर ऐसा न रेहगा कि जिसके लिये शालोशाल टीपणिए और चन्दा कर कर साधारण जैनों को
तकलीफ देनी पडे । (४) जैन पूजारी होगा तो जो आज प्रतिदिन मन्दिरों में चौरियों
होती है वह भी रूक जायगी। (५) जैन पूजारी होगा तो जो आप लग्नसादी ओसर मोसरा
दिपर १६००००००) जितनी रकम विधर्मी पूजारियों को