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________________ ( २० ) है जिससे गम्भारा और बिंब काला हो जाता है। श्रावकों को तो बिना स्नान किये मूल गम्भारे में जाने की आज्ञा नही पर सायंकाल में पूजारी आरती करता है उस समय वह नतो स्नान करता है न दिनभर के अशुद्ध वस्त्रों को बदलता हैं फिर तमाकू गांजा पीकर एकदम देवकी पूजा पक्षाल करते है कितनी घोर आशातना करते हैं। प्रायः इनकी शराकत से मन्दिरों में चोरिए होती हैं । बहुतसे मन्दिर में ही खानापिना करते है अनाचार भी करते है । इतनी आशातना करने पर भी कई भाई उन अधर्मी पूजारियों का पक्ष कर न्याति में तड़धड़ा डालते हैं। परन्तु ऐसे पक्षपातीयों का संसारीक जीवन कितना खराब होता है ? और परभव भी बिगडता है। अतएव जैनों ! जरा अपने हृदय पर हाथ रखकर बिचारों कि आप की क्यां दशा हो गई हैं। कहां तो आपके पूर्वजों का तपतेज, मान-मर्यादा, इज्जत-आबरू,धन-सम्पति और कुटुम्बपरीवार ? कहां आपकी आज तुटी फुटी साहेबी और क्लेशमय जीवन ? याद रखिये यह सब मन्दिर मूर्तियों की आशातना का ही कारण है ! आशातना का प्रत्यक्ष फल आप भुगतते है फिर भी नही चेतते । आपकी कितनी घटती होती जा रही है । अंग्रेजों के आनेके समय अठाराह क्रोड भारतीय जनता थी । उस समय जैनों की संख्या एक क्रोड थी जब आज भारतीय जनता बढ कर ३५ क्रोड हो गई तब जैन घटकर १३ लाख ही रह गये हैं अतएव शीघ्र ही चेतो और अपने पतन के कारणो को हटाकर अपनी अभिवृद्धी के कारण को ग्रहण करो।
SR No.007296
Book TitleAnarya Krutaghni Sevago Ki Kali Lartoote
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimal Jain
PublisherMishrimal Jain
Publication Year
Total Pages34
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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