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४०,००० जैन श्वेताम्बर जैनमन्दिरोंसें १०००००
विधर्मी पूजारियों का पोषण ।
वर्तमान समय भारत की पवित्र भूमिपर जैन श्वेताम्बर आम्नायके करीबन् ४०००० मन्दिर हैं । इन मन्दिरों की सेवा-पूजा के लिये करीबन् १००००० नोकर चाकर और पूजारी रक्खे जाते हैं और उन पूजारियों कों मन्दिरों की सेवापूजा के बदलामें वेतन मन्दिरोंका चढ़ावा पूजा पढ़ानेका सामान - जैनोंके घरोंमें विवाहकी सिख विदा -त्याग के रुपये, ओसर मोसर में, प्रतिष्टा, उपधान, उज्जमना आदिमें फी आदमी एक वर्ष के रू. २५०) दिये जाते है इस हिसाब से एक लाख आदमियों कों एक वर्ष में अढ़ाई किरोड़ रूपये केवल मन्दिरों की पूजाई के ही दिये जाते हैं पर यह पूजारी सबके सब प्रायः विधर्मी हैं इनके संस्कार जन्म से ही विधर्मियों के होने से जैन धर्म के मन्दिरों की भक्तिका लाभ और आशातना के पाप से अनविज्ञ है ऐसे अज्ञ लोगों से जैनमन्दिर पूजाना मानो जान बूजके मन्दिरों की आशातना करवानी है और यह ही पुकार आज चारों ओर से हरसमय आया करती हैं परन्तु बिचारी जैन कोम पराधिन है इसका उपाय भी तो वे क्या कर सके ? नतों स्वयं मन्दिरपूज सकते है और न उन विधर्मी पूजारियों को निकालने की उनमें ताक्त है । पूजारीयों का होसला यहाँ तक बढ़ गया हैं कि