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________________ ( १७ ) यदि कोई यह कहेगा कि पूजारी मन्दिरजी का काम करता है जिसके बदले उसको पूजापा का द्रव्य दिया जाता हैं । उन महानुभावों को समझना चाहिए कि मन्दिरजीका तमाम काम करना श्रापकों के जुम्मे है और श्रावकों से सब काम न बने इसलिये ये अपनी और से नोकर चाकर रक्खते हैं उसकों यदि कुच्छ देना हैं तो श्रावक या साधारणसे दें पर देवद्रव्यसे देना और दीलाना तथा पूजारियोंको लेना मानो अपना सर्व नाश करना कराना हैं । जैनियों और पूजारियो ( सेवगो) की पतन दशाका खास कारण देवद्रव्य भक्षण करना कराना हैं । बम्बई बगैरह बहुत शेहरों और कई ग्रामों में तो पूजामें चढ़ाया हुआ रोकड़ नालेर मेवा और चावल सब देवद्रव्य में ही जमा होते हैं पर बहुत से ग्राम ऐसे भी है कि वे रूढि के उपासक जान लेने पर और समझलेने परभी हानीकारक रुढिकों नहीं छोडते है पर जरा विचार कर देखिये देवद्रव्यका दुरुपयोग करनेसे जैन और सेवगोंकी क्या दशा हुई हैं और भविष्य में क्या होगी ? इस लिये मेरा निवेदन है कि आप अपनी उन्नति और कल्याण चाहते है तो देवद्रव्य भक्षण के वज्र पापसे शीघ्र बचे अर्थात् पूजा वगैरह में चढाये हुए द्रव्य को देवद्रव्य में जमा करे। इसमें जैनों ओर पूजारियो (सेवगों) दोनों का कल्याण है। शुभम् ॥
SR No.007296
Book TitleAnarya Krutaghni Sevago Ki Kali Lartoote
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimal Jain
PublisherMishrimal Jain
Publication Year
Total Pages34
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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