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मनमाने ये भेद दिखाकर, मूलतत्त्व उठवाया है, ऐसे तेरापंथ मजबनें, जगमें ढोंग मचाया है ॥
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“ नेमनाथने पशुओंकी रक्षा की है भावी दुखसे,
" धर्मरुचीने जीव बचाये, भाविकालमें मरनेसे । " “ मेघकुमरने ससलेको भी इसी प्रकार रखाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ॥
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वे अनुकंपा जिन आझामें, इनको आज्ञा रहित गिने:“ हरिकेशी पर भक्ति जगाकर, यक्ष, शरीर प्रवेश करे । " धारिणिने अनुकंपा लाकर इच्छित भोजन खाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ॥
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" हरिणिगमेषी देव, दयासे षट् पुत्रोंको लाया है, "
“ अनुकंपासे ही जिनवरने, मेखलिपुत्र बचाया है ।
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“ हरिका ईंट उठाना, ” “ सुरने जलधरको बरसाया है ' ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ।।
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क्या अनुकंपा हो सकती है, प्रभु आज्ञासे रहित कभी ? दुःखनाशकी इच्छा तो रखते हैं, मानवमात्र सभी । फिर भी इसको नहीं मानते, यही इन्होंकी माया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ।। १ गोशाळा.
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