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काठियावाड (सौरप्रदेश) "।
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यहां पर्वतपर वर्तमान में दिगम्बर जैनोंका खास एक बड़। मंदिर है जहां वे लोग पुनने जाते है उसमें मूलनायक श्री शांतिनाथ भगवान १६ वें तीर्थंकरकी पुरुषाकार पद्मासन मूर्ति बहुत मनोज्ञ सं० वि० सं० १६८६ की है प्रतिष्ठाकारक बादशाह जहांगीर के समय में अहमदाबाद निवासी रतनसी हैं - देखो -
Epigraphica Indica Vol II PXP. 72
श्वेतांबर जैनोंके बहुतसे विशाल मंदिर हैं। यह पर्वत समुद्र तहसे १९७७ फुट ऊंचा है मुख्य दो चोटियां हैं फिर उनकी घाटी धनवान जैन व्यापारियोंने बना दी है । कुल ऊपरका भाग मंदि - रोंसे ढका हुआ है जिनमें मुख्य मंदिर श्री आदिनाथ, कुमारपाल विमलशाह, सम्प्रति राजा और चौमुखा के नामसे प्रसिद्ध हैं । यह चौमुखा मंदिर सबसे ऊंचा है जिसको २५ मीलकी दूरीसे देखा जासक्ता है । इस चौमुखा मंदिर के सम्बन्ध में जो खरतरवासी टोंक में है ऐसा कहा जाता है कि यह विक्रम राजाका बनाया हुआ है परंतु यह नहीं बताया गया कि यह संवत ५७ वर्ष पहले सन् ई० का है या ५ • सन् इ० में हुए हर्ष विक्रमका है या अन्य किसीका है । परंतु वर्तमान रूपसे ऐसा मालूम होता है कि यह करीब सन् १६१९ के फिरसे बना है । अहमदावादके सेवा सोमनीने सुलतान नुरुद्दीन जहांगीर, सवाई विजय राजा, शाहजादे सुलतान खुशरो और खुरमाके समय में सं० १६७५में वैशाख सुदी १३ को पूर्ण कराया । देवराज और उनके कुटुम्बने जिसमें मुख्य सोमजी और उनकी स्त्री राजलदेवी थी उन्होंने यह चौमुखा आदिनाथजीका मंदिर बनवाया है । देखो -