________________
बड़ौधा राज्य ।
(१०) बड़ौधा राज्य ।
बड़ौका प्राचीन नाम एक दफे हिन्दुओंने चन्दनावती प्रसिद्ध किया था क्योंकि राजपूत दोरवंशके राजा चंदनने इसको जैनियोंसे छीना था । यह चंदन प्रसिद्ध मलियाधीका पति व मशहूर कन्या शिवरी और नीलाका पिता था पीछेसे इसे परावली फिर वतपत्र कहने लगे ।
(१) नवसारी - यहां श्री पार्श्वनाथजीका जैन मंदिर है ।
[ ३३
(२) महुआ - पूर्ण नदीपर - एक दि० जैन मंदिर है जिसमें सुन्दर कारीगरी है । प्रतिमाएं बहुत प्राचीन हैं । शास्त्रभंडार बहुत बढ़िया है, यहां श्री पार्श्वनाथजी की मूर्ति भौर में है जिसे विघ्नहर पार्श्वनाथ भी कहते हैं - सर्व अजैम भी पूजते हैं । यह मूर्ति कृष्ण पाषाण २ ॥ हाथ ऊंची पद्मासन वड़ी मनोज्ञ व प्राचीन है । यह सं० १३५३ में खानदेश जिलेके सुलतानपुरके पास तोड़ावा ग्राममें खेत खोदते हुए मिली थी। सेठ डाह्याभाई शिवदासने लाकर यहां विराजित की। ऊपर १ वेदीमें श्वेत पाषा
का पट है २४ प्रतिमा हैं मध्य में ३ हाथ ऊंची कायोत्सर्ग श्री ऋषभदेवकी मूर्ति है जो नौसारीके दि० जैन मंदिरस्ते यहां सं १९११ में लाई गई थी । दर्शनीय है । प्रबन्धकर्ता इच्छाराम झवेरचंद नरसिंगपुरा हैं ।
(३) अनहिलवाड़ा पाटन - सिद्धपुर स्टेशनसे जाना होता है । यह चावड़ी और चालुक्य राजाओंकी पुरानी राज्यधानी है । इसको वनराजने सन् ७४६ में आबाद किया था । परन्तु मुसल