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________________ ३० ] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । नक्काशी है । भीतर लिंग है । जो कारीगरी भीतरके खंभोपर व बाहर दिख रही है वैसी इस बंबई प्रांत में कहीं नहीं है । यहां शिवरात्रि (माघ) को मेला भरता है । नोट - इसकी जांच होनी चाहिये । शायद जैन चिन्ह हो । (२) बोरीवली- सैलसिटी तालुका वंबईसे उत्तर २२ मील स्टेशन बी० बी० सी० आईसे करीब आध मील स्टेशनसे पूर्व पोनीसर और भागा घाटीके निकट बौद्धोंकी खुदी हुई गुफाएं हैं। इसके दक्षिण पूर्व करीब २ मीलके अकुलमें एक काले रङ्गका बडा टीला है । इसके ऊपर खुदाई है व २००० वर्ष पुरानेपाली अक्षर हैं। इसके दक्षिण २ मील जाकर जोगेश्वर नामकी ब्राह्मण गुफा ७ वीं शताब्दीकी है । गोरेगांव स्टे० से ३ मील गुफाएं हैं उनमें सबसे बड़ी नं० तीन २४०x२०० फुट है । (३) दाह नू - बन्दर ता० दाहानू - दाहानूरोड स्टे० (बी०बी०) से २ मील बम्बई से ७८ मील, पहले यह नगर था । इस स्थानका नाम नासिककी गुफाओंके शिलालेखों में आया है (सन् १०० ई० में) (४) कल्याण - बम्बई से दक्षिण पूर्व ३३ मील । इसका नाम पहलीसे छठी शताब्दी तकके शिलालेखों में आता है। दूसरी शता अन्तमें यह नगर बहुत उन्नतिपर था । कैस्मस इंडिका Casmas Indica कहता हैं कि छठी शताब्दीमें यह पश्चिम भार तके पांच मुख्य बाजारों में से एक था । यह बलवान राजाका स्थान था । यहां पीतल, कपड़ेका सामान तथा लकड़ीके लट्ठोंका व्यापार होता था । (५) कन्हेरी गुफाएं - थानासे ६ मील, जी० आई० पी० के भानदुव स्टेशनसे या बी० बी० के वोरिवली स्टे。 से निकट है ।
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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