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सूरत जिला ।
(७) सूरत जिला ।
इसकी चौहद्दी इस तरह है- पूर्वमें बड़ौधा, राजपीपला, वांसदा धरमपुर, दक्षिणमें थाना जिला और दमान (पुर्तगालका ) पश्चिममें अरब समुद्र उत्तरमें भरुच और बड़ौधा राज्य । यहां १६५३ वर्ग मील स्थान है ।
इतिहास - यूनानी भूगोलविशारद प्टोलेमी 'tolemy (सन् १५० ) लिखता है कि यह पुलिपुला व्यापारका मुख्य केन्द्र था । शायद पुलिपुलासे मतलब फूलपाड़ा से है जो सूरत नगरका पवित्र स्थान माना जाता है । सूरत शहर से पूर्व १३ मीलपर कावरेज के किलेमें हिंदू राजा रहता था जो १३ वी शदीमें कुत्तबुद्दीन से हारकर भाग गया । यहांकी प्राचीनताकी बात यह है कि कुछ मसजिदें प्राचीन जैन मंदिरों को तोड़कर बनी हैं जैसे रांदेर में जम्मा मसजिद, मसजिद मियां व खारवा ब मुन्शीकी मसजिद ।
(१) सूरत शहर - - यह मोटे व रंगीन रुईके कपडोंके लिये व रेशमपर सुनहरी व रुपहरी फूल कामके लिये प्रसिद्ध था । किसी समय जहाज बननेका शिल्प बहुत चढा हुआ था और यह सब पारसियों के हाथ में था । बड़े २ जहाज जो ५०० से १००० टन बोझा ले जाते थे चीनके साथ व्यापारमें लगे रहते थे । सूरतके शाहपुरवाड्रामें घेरेके भीतर जो कड़ीकी मसजिद है वह भी जैनमंदिरके सामानसे बनी है। शाहपुरा, हरिपुरा, सय्यदपुरा व गोपीपुरा में बहुत जैन मंदिर हैं। नोट- यहां दि० व श्वे० के प्राचीन जैन मंदिर व शास्त्र हैं । सूरतके कतारगांवके पास वरतिया देवडी है जहां अनु