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मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक ।
(२) शुकतीर्थ - नरबदा नदीके उत्तर तटपर एक ग्राम है जो भरुच नगरसे १० मील है । यहीं मौर्यचन्द्रगुप्त और उसके मंत्री चाणक्य आकर वास किया करते थे । ग्यारहवीं शताब्दी में अनहिलवाड़ाका राजा चामुंड जो अपने पुत्रके वियोगसे उदास गया था यहीं आकर वास करता था ।
(३) अंकलेश्वर - यहां पहले कागज बननेका शिल्प होता था जो अब बंद होगया है ।
( old paper manufacturing industry ).
नोट- यहां दि० जैनियोंके ४ मंदिर है जिनमें बहुत प्राचीन व मनोज्ञ मूर्तियां हैं । संवत रहित एक मूर्ति श्री पार्श्वनाथ भगवानकी पुरुषाकार भौंरेमें बिराजित है । यह भूमिसे मिली थीं ।
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अंकलेश्वर बहुत प्राचीन नगर है । मुड़बिद्री (दक्षिण कनडा) में जो श्रीजय धवल, धवल, व महाधवल ग्रन्थ श्री पार्श्वनाथ मंदिर में बिराजमान हैं उनके मूल ग्रन्थ इसी नगरमें श्री पुष्पदंत भूतबलि आचार्योंने रचे थे जिनको अनुमान २००० वर्षका समय हुआ । इसका प्रमाण पंडित श्रीधरकृत श्रुतावतार कथामें है । जैसे—
तन्मुनिद्वयं अंकलेसुरपुरे गत्वा मत्वा षड़ंग रचनां । कृत्वा शास्त्रेषु लिखाप्य लेखकान् सन्तोप्य प्रचुर दानेन ॥ ज्येष्ठस्य शुक्ल पञ्चम्यां तानि शास्त्राणि संघसहितानि नरवाहनः
पूजयिष्यति...."
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