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________________ २०] मुंब प्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक। (३) एक देराशर भूमिके भीतर उंडी बखारमें । (४) श्री मालपोलमें मंदिर निसमें मूर्ति संवत १६६४ की है। (५) श्री पार्श्वनाथ जैन मंदिर जो १८४९ में बना । (६) श्री आदिश्वर जैन मंदिर जो संवत १४४३ में बना । भरुच भारतके सबसे प्राचीन बंदरोंमें से एक है। १८०० वर्ष हुए यह व्यापारका मुख्य स्थान था । तब भारतसे और पश्चिमीय एसियाके बंदरोंसे व्यापार चलता था । इतने . कालके पीछे भी इसने अपना गौरव बनाए. रक्खा । १७ सत्रहवीं शताब्दीमें यहांसे जहान पूर्वमें जावा सुमात्राको और पश्चिममें अदन और लाल समुद्रको जाते थे। कपड़ा-प्राचीनकालमें यहांसे मुख्य बाहर जानेवाली वस्तुओंमें कपड़ा था। सत्रहवीं शताब्दीमें जब पहले पहले इंग्रेज और डच लोग गुजरातमें बसे तब यहांके कपड़ा बनानेवालोंकी प्रसिद्धिके कारण उन लोगोंने भरुच अपनो कोठियें स्थापित की। यहांकी तनजेबें प्रसिद्ध थीं । सत्रहवीं शदीके मध्यमें यहां इतना बढ़िया महीन सुतका कपड़ा बनता था जैसा दुनियांके किसी हिस्सेमें नहीं बनता था बंगालको भी मात कर दिया था। (about middle of 16 tl: ccntury district is said to have educed more manufacturcs of those of the finest fabrics ihan the sam. extent of county in any part of the world ujot excepting Bengal.). यहां पर श्री नेमिनाथनी के दि. जैन मंदिरमें गोलश्रृंगार अंशधारी दि० जैन ब्रह्मचारी अजितने संस्कृत हनूमान चरित्र रचा श्लोक २००० सर्ग ११ इसकी एक प्राचीन प्रति लिखित
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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