SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 237
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ संयुक्त प्रांतकेप्राचीन जैन स्मारक। यह अपूर्व स्मारक भी पूज्य ब० शीतलप्रसादनीने ही बड़े परिश्रमसे पुराने सरकारी गैजेटियरपरसे तैयार किया है। इसमें संयुक्त प्रान्तक सभी जिलोंका वर्णन है । प्रत्येक ग्रामका वर्णन उसके निले परगने सहित स्पष्ट दिया गया है । इसमेंकी भूमिका ३२ पृष्ठोंमें का हीरालालनीने महत्वपूर्ण अनेक प्राचीन उदाहरणों सहित लिखकर इसकी महत्वता और भी बढ़ा दी है। इसमें 3 जिलोंका वर्णन है और अकारादि क्रमसे प्रत्येक ग्रामकी सूची भी दी है। जिससे किस ग्राममें कौन प्राचीन स्थान है यह तुरत निकल सक्ता है। संयुक्त प्रान्तके भाइयोंको इसकी १-१ प्रति मंगाकर अपने यहांके प्राचीन स्थानोंकी खोज कर अपनी प्राचीनता प्रकट करनी चाहिए। __ इलाहाबादकी सुन्दर छपाई व अच्छा कागज तथा एठ करीब १६० होते हुए मूल्य सिर्फ ।-) है । और भी सब जगहके छये सब प्रकारके मैन ग्रन्थ हमारे यहां हमेशा तैयार रहते हैं । कमीशन भी देते हैं। मैनेजर, दिगम्बर जैन पुस्तकालय, चन्दावाड़ी-मूरत ।
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy