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२१४ ] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । प्रशंसा लिखी है । वे गोविन्द तृ• पृथ्वीमल्ल (८०३-८१४) को वल्लभ तथा उसके पीछे अमोघवर्ष वल्लभस्कंध (९१५-९४४) को परमवल्लभ कहते थे। एक व्यापारी सुलैमान (८१५) ने मान्यखेडके राजाको दुनियांके बड़े राजाओंमें चौथा नं० दिया है। अरबलोगोंने लिखा है
"The Arabs found the Rastra Kutas kind and liberal rulers, there is ample evidence. In their territories property was secure; Theft or robbery was unknown, Commerce was encou. raged or Foreignes were treated with consideration and respect. The Rastrakutas, dominion was Vast, well-peopled, commercial and fertile. The people lived niostly on vegetarian diet, rice, peas, beans etc their daily food, suleman represents the people of Gujrat as steady abestenious, and sober abstaining from wine as well as from vinegar."
"कि राष्ट्रकूट वंशके राना बड़े दयालु तथा उदार थे । इस बातके बहुत प्रमाण हैं । इनके राज्यमें मालको जोखम न थी, चोरी या लूटका पता न था । व्यापारकी बड़ी उत्तेजना दी जाती थी। परदेशी लोगोंके साथ बड़े विचार व सन्मानसे व्यवहार किया जाता था । राष्ट्रकूटोंका राज्य बहुत विशाल था । घनी वस्ती थी। ल्यापारसे भरपूर था व उपजाऊ था । लोग अधिकतर शाकाहारपर रहले थे। चावल चना मटर आदि उनका नित्त्यका भोजन था । सुलेमान लिखता है कि गुजरातके लोग पक्के संयमी थे मदिरा तथा ताड़ी काममें नहीं लेते थे।
सन् १३००के अंतमें रशीउद्दीन वर्णन करता है कि गुजररत बहुत ऐश्वर्ययुक्त देश है-जिसमें ८०००० ग्राम हैं। लोग लड़े खुश हैं, पृथ्वी उपजाऊ है । तथा सबसे बड़ी बात जो अरब