SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 233
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१२ ] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । जिन्होंने आबूके प्रसिद्ध जैन मंदिर व शेव्रुनय तथा गिरनारके जैन मंदिर बनवाये । (३) वीरधवल-(१२३३-१२३८) इसका मंत्री तेजपाल जैन था । तेजपाल बड़ा वीर था इसने गोधराके सरदार धूधलको कैद कर लिया था। वस्तुपाल जैन भी बड़ा वीर था, इसने दिहलीके सुलतान मुहम्मद गोरी (११९१ - १२०५) की सेनाओंको विनय किया। तथ उससे संधि करली। ___ अपनी माताकी तथा अपनी स्त्री ललितादेवीकी सम्मतिसे वस्तुपालने श्री आबूनीका श्री नेमिनाथका मंदिर सन् १२३ १ में, श्री से@जयमें श्री पार्श्वनाथनीका तथा गिरनारमें श्री नेमिनाथजीका मंदिर सन् १२३ २में बनवाए। वस्तुपाल सेव॒नयकी यात्राको जाता था । मार्गमें प्राणान्त हुआ । तब उसके भाई तेजपाल व उसके पुत्र जयंतपालने वस्तुपालके देहकी दाह पहाड़पर की और उसकी यादगारमें स्वर्गारोहण प्रासाद बनवाया । (४) विशालदेव (१२४३-१२६१)-इसके समय में वधेलोंका अधिकार गुजरातमें होगया था । () अर्जुनदेव (१२६२-१२७४)-यह विशालदेवके भाई प्रतापमलका पुत्र था। (६) सारंगदेव (१२७५-१२९६) यह अर्जुनदेवका पुत्र था । वस्तुपालके आबूनीके मंदिर में सन् १२९४का एक शिलालेख है जो प्रगट करता है कि उस समय अनहिलवाड़ पाटनका राना सारङ्गदेव था तथा कुछ दान जैन मंदिरोंको किया गया । (७) कर्णदेव (१२९६-१३०४) इसके समयमें गुजरातको
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy