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गुजरातका इतिहास।
[ २११ छोड़ दिया था। कुमारपालके समयमें हेमचंद्राचार्यने नीचे लिखे ग्रंथ लिखे-(१) आध्यात्मोपनिषद या योगशास्त्र १२००० श्लोक-१२ अध्यायमें, (२) त्रिशष्ठि शलाका पुरुषचरित्र परिशिष्ट पर्व ३५०० श्लोक, (३) श्री महावीरके पीछे स्थविर जीवनचरित्र, (४) प्राकृत शब्दानुशासन, (५) द्वाश्रय प्राकृतकाव्य, (६) छन्दोनुशासन ६००० श्लोक, (७) लिंगानुशासन, (८) प्राकृत देशी नाममाला, (९) अलंकार चूड़ामणि । हेमचंद्राचार्य ८४ वर्षकी आयुमें सन् ११७२में स्वर्ग प्राप्त हुए। राजा कुमारपालका मरण सन् ११७४में हुआ । कुमारपालके कोई पुत्र न था। उसके बाद उसके भाई महीपालका पुत्र अजयपालने राज्य किया ।
(८) अजयपाल-(११७४-- ११७७) यह जैनधर्मसे द्वेष रखता था ।
(९) मूलराज द्वि०-(१ . ७७.- १ १७९) यह अजयपालका पुत्र था ।
(१०) भीन द्वि०-१७९ - १२४२) भीमके पीछे वाघेलोंका बल प्रगट हुआ ।
वाघेल वंश-(५२१९-१३ ० ४) वाघेरवंश सोलंकी वंशकी एक शाखा थी जो कुमारपालकी माताकी बहनके पुत्र अर्ण राजा या आणकसे प्रगट हुई।
(१) अर्णराज (११७०-१२००) इसने अनहिलवाड़ाके दक्षिण-पश्चिम १० मील वाघेला ग्रामका राज्य पाया था।
(२) लवणप्रसाद (१२००-१२३३) इसका पुत्र वीरधवल था, इनके यहां वस्तुपाल और तेजपाल दो प्रसिद्ध जैन मंत्री थे,