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________________ गुजरातका इतिहास । [ २०५ जय प्राप्त की ( देखो भिलसाके पास उदयपुरके मंदिर में एक लेख राजा भोजके पीछे उदयादित्य राजाका ), परन्तु भीम राज्य करता रहा । १०२४ में महमूद गजनीने सोमनाथ महादेव मंदिरपर हमला किया। यह मंदिर वल्लभी लोगोंने बनवाया था (सन् ४८०) इसमें मूलराजने भी धन दिया था। इस मंदिरके लकडीके ९६ खंभे थे । महमूदने ५०००० हिन्दू मारे व २० लाख दीनार द्रव्य लूटा । महमूदके जानेके पीछे भीमने फिरसे सोमनाथके मंदिर को पाषाणका बनवा दिया । कुछ वर्ष पीछे आबूके सर्दार परमार धन्धुकासे भीमकी अनबन हो गई तब उसने अपने सेनापति विमलको उसे वश करनेको भेजा । धन्धुका वशमें हो गया, इसने आबूकी चित्रकूट पहाड़ी विमलको दे दी, जहां विमलशाहने प्रसिद्ध जैनमंदिर बन - वाया जिसको विमलवसही कहते हैं । (५) कर्ण - (१०६४ - १०९४) यह भीमका पुत्र था इस राजाके तीन मंत्री थे । मुंजाल, सांतु और उदय । उदय मारवाडके श्रीमाली बनिये थे । सांतुने सांतुवसही नामका जैनमंदिर बनवाया था ! उदयने कर्णद्वारा स्थापित करुणावती ( वर्तमान अमदावाद) में उदयवराह नामका जैनमंदिर बनवाकर उसमें ७२ मूर्तियें तीर्थंकरोंकी स्थापित की थीं । उदयके पांच पुत्र थे - आहड, चाहड, बाहड, अंबड और सोला । पहले चारने कुमारपाल राजाकी सेवा की । सोल्ला व्यापारी हो गया था । (६) सिद्धराज जयसिंह - कर्णका पुत्र । (१०९४ - ११४३) मुंजाल और सांतु मंत्री इसके भी रहे ।
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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