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________________ गुजरातका इतिहास । [ १६३ स्थान बनाया । तथा इनही गोहिल लोगोंने मेवाड़ में वल्लीनगर वसाया जहां ये सन् ९६८ तक राज्य करते रहे, जिनकी उपाधि सेसोदिया सर्दार वल्लभी शिलादित्य रही । सेसोदिया लोग अपना नाम गोहेलाट होनेसे अपनी उत्पत्ति गुफामें उत्पन्न गुहसे बताते हैं । शायद यह गुहसेन (५५५ - ५५७ ) से उत्पन्न हों । अरबलोग कहते हैं कि वल्लभीकी एक शाखा बलेह में उस समय तक राज्य करती रही जबतक सन् ९५० में मूलराज सोलंकीने उसको जीत न लिया । वाला लोगोंका पुराना राज्यस्थान जूनागढ़ से दक्षिण पश्चिम ९ मील बंथली था । सेसोदिया या गोहिला लोग कहते हैं कि बालोंका संस्थापक कनकसेन सन् १५० में उत्तर भारतसे आया और घोलका तथा धांकमें वश गया । चालुक्यवंश (६३४ - ७४० ) - चालुक्योंने दक्षिणसे आकर गुजरातको विजय किया था । पहले इन्होंने पुरी अर्थात् राजूपुरी, या जंजीरा या एलीफैन्टाके कोंकण मौर्योको जीता था । पांचवीं सदीमें प्रसिद्ध बाड़ राजा सुकेतुवर्मनके राज्यसे प्रमाणित है कि यह मौर्यवंश कोंकणमें राज्य कर रहा था । पीछे कीर्तिafra अधिकार में चालुक्योंने इनको हराया था । उनकी अंतिम विजय पुलकेशी द्वि० (सन् ६१० - ६४० ) के अधिकारी चंड ssc की थी और उनकी राज्यधानी पुरी ले ली थी । ( Ind. Ant. VIII 243-4 ). फिर येही चालुक्य उत्तरकी तरफ बढ़ते गए । दक्षिण बीजापुरके रोहोलीके शिलालेखसे प्रगट है कि सन् ૧૩
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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