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मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक
(२) द्रांगिक - नगरका अधिकारी (३) महत्तरि - ग्रामपति
(४) चाटभट - पुलिस सिपाही
(५) ध्रुव - ग्रामका हिसाब रखनेवाला वंशज अधिकारी तलाटी या कुलकरणी समान
(६) अधिकरणिक - मुख्य जज
(७) डंडपासिक - मुख्य पुलिस आफिसर ।
(८) चौरोडर्णिक - चोर पकड़नेवाला ।
(९) राजस्थानीय - विदेशी राजमंत्री । (१०) अमात्य - मंत्री ।
(११) अनुत्पन्नादान समुदूग्राहक - पिछला कर वसूल करनेवाला (१२) शौल्किक - चुंगी आफिसर Custom Officer (१३) भोगिक या भोगोद्धर्णिक -आमदनी या कर वसूल करनेवाला
(१४) वर्त्मपाल - मार्ग निरीक्षक सवार ।
(१५) प्रतिसरक - क्षेत्र और ग्रामोंके निरीक्षक ।
(१६) विषयपति - प्रांतका आफिसर |
(१७) राष्ट्रपति - जिलेका आफिसर ।
(१८) ग्रामकूट - ग्रामका मुखिया ।
विषयके नीचे आहार (जिला) फिर पथक ( उसका भाग) फिर स्थली (उसका भी भाग ) ऐसे भाग थे । राज्यधर्म अधिकतर शैव था । केवल ध्रुवसेन (५२६ ई०) परमभागवत वैष्णव था । इसका भाई और राज्याधिकारी धरपत्त - परमादित्यभक्त तथा गृहसेन बुद्धके उपासक थे । सब वल्लभी राजा परममहेश्वर कहलाते थे ।